Mithilesh Yadav
12 Oct 2025
इंदौर। यदि आप किसी विदेशी नस्ल के डॉग, कैट या पक्षी को घर लाने की सोच रहे हैं, तो अब इसके लिए सरकारी अनुमति जरूरी होगी। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में 2022 में किए गए संशोधन के तहत विदेशी प्रजातियों के पालतू जानवरों और पक्षियों को भी पंजीकरण के दायरे में लाया गया है। इस कदम का उद्देश्य अवैध व्यापार और तस्करी पर रोक लगाना और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। नियमों के पालन और कार्रवाई की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है।
यदि किसी के पास पहले से विदेशी प्रजाति का पालतू जानवर है, तो उसका पंजीकरण परिवेश 2.0 पोर्टल पर कराना अनिवार्य होगा। आवेदन के साथ संबंधित सभी दस्तावेज अपलोड करना होंगे। वन विभाग द्वारा सत्यापन के बाद पंजीकरण पूरा होगा। भविष्य में यदि कोई विदेशी पालतू जानवर खरीदा या प्राप्त किया जाता है, तो उसकी जानकारी 30 दिनों के भीतर पोर्टल पर देनी होगी। पंजीकरण शुल्क 1000 रुपए तय किया गया है। साथ ही यदि पालतू जानवर से संतान होती है, तो सात दिनों के भीतर सूचना देनी होगी और यदि वह संतान किसी को दी या बेची जाती है, तो उसकी जानकारी भी दर्ज करना अनिवार्य होगा।
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इंदौर में एक लाख से अधिक पालतू कुत्ते घरों में पाले जा रहे हैं, लेकिन नगर निगम में पंजीयन कराने वालों की संख्या बेहद कम है। पिछले वर्षों में केवल 700 लोगों ने ही पंजीकरण कराया था। शहर में 40 से 50 पालतू पशुओं की बिक्री करने वाली दुकानें हैं, जिनसे हर साल करीब 800 से 1000 कुत्तों की बिक्री होती है। कुत्तों की खरीदी-बिक्री का सालाना कारोबार 20 से 25 लाख रुपए तक पहुंच चुका है।
सितंबर 2020 में पर्यावरण मंत्रालय ने विदेशी पक्षियों और जानवरों के आयात के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें व्यापारियों और इन्हें पालने वालों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया था। परिवेश पोर्टल पर व्यापारियों को अपने यहां के पशु-पक्षियों की पूरी जानकारी देनी होती है, वे कहां से लाए गए, उनकी कीमत और किसे बेचे गए, जैसी सभी जानकारियां इसमें शामिल होती हैं।
इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में विदेशी पालतू जानवरों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। बिल्लियों में फारसी, सियामी, बंगाल, ब्रिटिश शॉर्टहेयर, रैगडॉल, हिमालयन और भारतीय शॉर्टहेयर नस्लें लोकप्रिय हैं। वहीं कुत्तों में लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, पामेरियन, क्राकर स्पेनियल, सिट्जू, गोल्डन रिट्रीवर और सेंट बर्नार्ड जैसी नस्लों की मांग अधिक है। कुछ लोग रोटविलर, बाक्सर, डाबरमैन और बुलडॉग जैसी आक्रामक नस्लों को भी पालते हैं।
(रिपोर्ट- हेमंत नागले)