Naresh Bhagoria
11 Nov 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लंबे समय से अटके एक बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दे दी है। अब रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (MDL) को जर्मनी से छह नई पनडुब्बियां बनाने की अनुमति मिल गई है। यह काम प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत होगा। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 70 हजार करोड़ रुपए हो सकती है। सरकार का मानना है कि यह कदम नौसेना को और मजबूत बनाएगा और देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा।
मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ मिलकर ये पनडुब्बियां तैयार करेगा। इनमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम लगाया जाएगा जिसकी मदद से पनडुब्बियां लगातार 3 हफ्ते तक पानी के अंदर रह सकेंगी। अभी भारतीय नौसेना के पास स्कॉर्पीन क्लास (कलवरी क्लास) की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं, जिन्हें DRDO के फ्यूल सेल AIP से लैस करने की योजना है।
रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक सरकार ने MDL और जर्मनी की कंपनी को इस प्रोजेक्ट पर बातचीत शुरू करने की अनुमति दे दी है। यह प्रक्रिया इस महीने के अंत तक शुरू होने की संभावना है।अगले छह महीनों में अनुबंध पर बातचीत पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद अंतिम मंजूरी दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत का लक्ष्य है कि देश में ही पनडुब्बियों को डिजाइन और बनाने की क्षमता विकसित की जा सके।
चीनी नौसेना के तेजी से आधुनिकीकरण को देखते हुए भारत सरकार ने हाल के वर्षों में कई परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। भारतीय नौसेना अगले दशक में लगभग 10 पुरानी पनडुब्बियों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की तैयारी में है। इनकी जगह नई आधुनिक पनडुब्बियां लाई जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटने के लिए तेजी से क्षमताएं विकसित करनी होंगी।