Aakash Waghmare
29 Dec 2025
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए घोड़ों की मौत रुक नहीं रही है। बीते दो हफ्तों में 6 और घोड़ों की मौत हो चुकी है। पहले ही 57 में से 13 घोड़े मर गए थे। अब तक कुल 19 घोड़ों की जान जा चुकी है। यह सब तब हुआ जब पशुपालन विभाग के डॉक्टर और अधिकारी 24 घंटे निगरानी में थे।
नोडल अधिकारी डॉ. ज्योति तिवारी ने बताया कि दो घोड़ों की मौत सेप्टीसीमिया, दो की पैरेलिसिस, एक की पेट दर्द (कोलिक) और एक की सांस लेने में दिक्कत (रेस्पिरेटरी फेल्योर) से हुई है। बाकी घोड़ों का इलाज चल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी घोड़े में घातक ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है। संदिग्ध घोड़ा (नंबर 644) अब पूरी तरह स्वस्थ है।
थोरो, काठियावाड़ी और मारवाड़ी नस्ल के 57 घोड़े सड़क मार्ग से 5 मई को जबलपुर लाए गए थे। इन्हें रैपुरा गांव में रखा गया। शुरुआत में ही 7 से 13 मई के बीच 8 घोड़ों की मौत हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे मौतों का सिलसिला जारी रहा। अब केवल 38 घोड़े ही बचे हैं।
घोड़ों की लगातार हो रही मौत के बाद कलेक्टर ने जबलपुर वेटरनरी कॉलेज की टीम से जांच करवाई। सभी घोड़ों के सैंपल हिसार (हरियाणा) लैब भेजे गए। रिपोर्ट नेगेटिव आई, यानी ग्लैंडर्स बीमारी से मौत की पुष्टि नहीं हुई। हालांकि, एक घोड़े में इसके लक्षण जरूर दिखे थे। इस मामले में जनहित याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।
ये घोड़े हैदराबाद में हॉर्स पावर सुपर लीग (HPSL) चलाने वाले सुरेश पलादुगू के बताए जा रहे हैं। आरोप है कि घोड़ों की रेस के नाम पर फिलीपींस में ऑनलाइन सट्टा खिलवाया जाता था। मामला सामने आने पर तेलंगाना सरकार ने रेस बंद करवा दी और कई घोड़े अलग-अलग जगह भेज दिए गए।
घोड़ों को जबलपुर लाने वाले सचिन तिवारी ने कहा कि ये घोड़े हेथा नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से सिर्फ देखभाल के लिए आए हैं। कंपनी ने हैदराबाद में अपना काम बंद कर दिया था, जिसके बाद 27 अप्रैल से 5 मई तक 11 ट्रिप में इन्हें जबलपुर लाया गया।