Aakash Waghmare
29 Dec 2025
प्रीति जैन। मप्र के गुना में पले-बढ़े गायक अनिल श्रीवास्तव अपनी सालों की कड़ी मेहनत के बाद अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं क्योंकि जब वो गाते हैं तो श्रोता अचरज में पड़ जाते हैं। किशोर कुमार के गीतों और उन जैसी आवाज ने उन्हें भारत में ही नहीं दुनिया के अन्य मुल्कों में भी पॉपुलेरिटी हासिल कराई। उनकी फैन फॉलोइंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन की राजधानी कीव से उन्हें लगातार इंडियन कम्युनिटी की तरफ से प्रस्तुति देने के लिए बुलावा आ रहा है और पश्चिम बंगाल उन्हें नए साल पर एक नहीं बल्कि दो से तीन अलग-अलग आयोजनों में प्रस्तुति देने बुला रहा है। गायक अनिल श्रीवास्तव ने आईएम भोपाल से अपने सफर को लेकर खास बात की। वे भोपाल गीतकार स्व.अनजान की स्मृति में आयोजित म्यूजिकल ईव में परफॉर्म करने आए थे, जिसमें समीर अनजान भी उपस्थित थे। अनिल अब अपनी मां की याद में गुना में म्यूजिक एकेडमी शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं।
अपनी बहन रेखा श्रीवास्तव के साथ हारमोनियम सीखते हुए किशोर की आवाज़ ने उनके भीतर एक आग जलाई थी। आज वही आग सुरों की साधना बन चुकी है। अनिल श्रीवास्तव कहते हैं, स्कूल के वार्षिक समारोहों में गाना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे ये शौक जीवन का मकसद बन गया। बचपन में 11 साल की उम्र में एक म्यूजिकल ग्रुप के साथ ट्रेन में बैठकर अशोक नगर पहुंच गए क्योंकि पिता रेलवे में थे तो घर स्टेशन के पास था। अनिल कहते हैं, मैं घूमते-फिरते स्टेशन पहुंच जाया करता था, एक दिन एक बोगी में म्यूजिकल ग्रुप को देखा तो उनके साथ संगत करने ट्रेन में चढ़ गया, उन्होंने बताया वे अशोकनगर प्रस्तुति देने जा रहे हैं तो मैं भी उनके साथ निकल गया, घर में लड़का कहां गया हड़कंप मंच गया, लेकिन फिर मैंने घर पर कॉल कर दिया था। उसी ट्रेन में मुझे उसी ग्रुप में मुझे मेरे गुरु गुरु तेज किरण राव से हुई और इस तरह मेरा संगीत का सफर ट्रेन से शुरू हुआ। छोटे कार्यक्रमों से शुरुआत हुई, फिर स्टेज शो और लोकल म्यूज़िक इवेंट्स ने पहचान दिलाई।
करियर का असली मोड़ आया टीवी शो ‘के फॉर किशोर’ से। मेरी मां कुसुमलता श्रीवास्तव ने कहा कि अनिल बेटा तुम्हें इस शो में जाना चाहिए। मैंने कहा शो चालू हो चुका है, बीच से मुझे क्यों लेंगे, लेकिन भाग्य ने साथ दिया, मेरा एक शो, नेहा कक्कड़ और टोनी कक्कड़ के साथ था, उन्होंने मुझे सुना तो इस के फॉर किशोर के ऑडिशन में पहुंचने में मदद की और फिर मुझे यहां गाने का मौका मिला और चैंपियन ट्रॉफी दी गई। लेकिन सबसे बड़ा दुख जो मुझे आज तक है, कि मेरी मां उस समय उस शो में मुझे सुनने के लिए दुनिया में नहीं रहीं। दूसरा, दुख जीवन में हमेशा रहेगा कि पिता की आंखों की रोशनी मेरी वजह से जाना। वो मुझे बाय रोड रिसीव करने आए थे और एक्सीडेंट हो गया, मैं दो साल बेड पर रहा और मेरे पिता जगत नारायण श्रीवास्तव की आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन अब वो भी दुनिया में नहीं हैं। गुना में मुझे आगे बढ़ने में पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने काफी मदद की।
रियलिटी शो की चमक के पीछे भारी दर्द छुपा है। टीवी पर दिखने वाले ये शो सिर्फ प्रतिभा का मंच नहीं हैं, यहां मार्केटिंग और राजनीति दोनों चलते हैं। असली कलाकार वो है जो शो के बाद भी लोगों के दिलों में बना रहे। आज में वर्ल्ड के आधे देशों में लाइव कॉन्सर्ट कर चुका हूं। अगर कोई मेरे गीत सुनकर शांति महसूस करे, वही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। अब बॉलीवुड में गाना ही अकेला मंच नहीं है, अब तो एक गायक तमाम प्लेटफॉर्म से पॉपुलेरिटी हासिल कर सकता है।