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मिलेट्स को पिछले साल यूएन ने इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया था। उसी के बाद से खासतौर पर ज्वार, बाजरा और रागी, कोदो-कुटकी से बने खाने-पीने के प्रोडक्ट्स स्टार्टअप से लेकर फूड कंपनियां तक तैयार करने लगीं हैं। अब रेगुलर खाने-पीने में आने वाली चीजें मिलेट्स से तैयार की जा रही हैं, जिसमें बच्चों के पसंदीदा नूडल्स से लेकर इंस्टेंट दलिया भी मिलेट्स से बन रहे हैं। डोसे का बैटर हो या इडली यह भी अब मिलेट्स में आने लगी हैं। मिलेट्स यानी मोटे अनाज। ये छोटेछोटे, गोल और पूर्ण अनाज के समूह होते हैं जिसमें कई अनाज शामिल होते हैं। कोदो, कांगनी, चीना के कॉम्बो आ रहे हैं, जिन्हें 10 मिनट पानी में भिगोकर रखने पर यह फूल जाते हैं और फिर अपने पसंदीदा मसालों के साथ इसे कुकर में पकाकर खिचड़ी की तरह खाया जा सकता है। शाम के समय हल्की-फुल्की भूख या डिनर में इसे लिया जा सकता है।
आटे और मैदे से बने नूडल्स खाकर बोर हो चुके हैं तो अब मिलेट्स के बने नूडल्स खा सकते हैं। यह भी पैकेट में आते हैं और इनके साथ कुकिंग के लिए मसाले का पैक आता है। यह बाजार, कुटकी, ज्वार, सांवा, चीना, कोदो से मिलकर बने होते हैं।
चुकंदर और पालक के फ्लेवर में डोसा मिक्स भी आ रहा है, जो कि मूंग दाल, कांगनी, चावल के आटे से बने हैं।
मैदे के केक की जगह बच्चों को कप केक का हेल्दी ऑप्शन देना चाहते हैं तो मिलेट्स कप केक मिक्स से इसे बनाया जा सकता है। इसमें राजगीर, ज्वार, कांगनी, केले का पाउडर मिला होता है। बिना मैदा और बिना चावल से बनी मिलेट्स की वर्मीसेली भी आ रहीं हैं जो कि ज्वार व बाजरे के आटे से तैयार की जा रही हैं। इन्हें नमकीन या मीठे दोनों तरह से बनाया जा सकता है।
जज्वार, रागी, बाजारा की बनी कुकीज के पैक आ रहे हैं जिन्हें लोग ऑफिस में भूख लगने के दौरान खाना पसंद कर रहे हैं। वहीं अब गिफ्टिंग में भी मिलेट्स कुकीज के बॉक्स दिए जाने लगे हैं।
मिलेट्स में प्रोटीन और फाइबर की अधिकता होती है और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। यह ट्राइग्लिसराइड्स (खून में मौजूद फैट) और सीरिएक्टिव प्रोटीन को कम करते हैं। इसे खाने के बाद शरीर में शुगर का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है यानी डायबिटीज मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी है। -डॉ. अलका दुबे, न्यूट्रीशनिस्ट