Peoples Reporter
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
8 Oct 2025
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक पेश किया है, जो 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। इससे पहले 13 फरवरी 2025 को पेश किया गया आयकर विधेयक 2025 सरकार ने वापस ले लिया, क्योंकि उसमें कई ड्राफ्टिंग त्रुटियां और अस्पष्टताएं पाई गई थीं। संसद की प्रवर समिति की अधिकांश सिफारिशों को नए विधेयक में शामिल है। सरकार ने नया विधेयक पेश करने का निर्णय इसलिए लिया, ताकि एक स्पष्ट, अद्यतन और एकीकृत मसौदा उपलब्ध कराया जा सके, जो सभी सुझावों और सुधारों को दिखाता हो। संसद में विधेयक वापस लेने के कारण बताते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधायी आशय को सही ढंग से व्यक्त करने के लिए कई सुझावों को शामिल करना जरूरी था। इसमें भाषा में सुधार, आसान वाक्य और क्रॉस-रेफरेंसिंग जैसे सुधार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पुराने विधेयक को इस लिए वापस लेना पड़ा क्योंकि सरकार एक परिष्कृत संस्करण पेश करना चाहती है, जो 1961 के कानून को बदलने का आधार बनेगा।
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लोस से नए इनकम टैक्स बिल के अलावा तीन और राज्यसभा से पांच बिल पारित हुए। लोस ने टैक्सेशन लॉ, नेशनल स्पोर्ट्स बिल और नेशनल एंटी डोपिंग बिल पास किए। वहीं, रास से मणिपुर बजट 2025-26, मणिपुर जीएसटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और मणिपुर विनियोग (नंबर 2) बिल 2025, मर्चेंट शिपिंग बिल और गोवा विस में अजजा के लिए सीटें आरक्षित करने का बिल पारित किए गए। नया इनकम टैक्स बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा. अब फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट की जगह एक ही टैक्स ईयर होगा। यानी जिस साल आय होगी, उसी साल टैक्स पे करना होगा। नया इनकम टैक्स बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। अब अगर तय तारीख के बाद भी रिटर्न भरते हैं, तो सही वजह (बीमारी, तकनीकी दिक्कत) होने पर रिफंड का दावा कर सकेंगे। सिर्फ टीडीएस (स्रोत पर काटा गया कर) वापसी के लिए अब पूरा आईटीआर दाखिल करना जरूरी नहीं होगा। इसके बजाय एक सरल फॉर्म भरने का प्रस्ताव है। करदाताओं को सुविधा मिल सकेगी कि वे टैक्स कटने से पहले ही शून्य टीडीएस का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी आय पर टैक्स नहीं कटेगा।
फरवरी 2025 में लाया गया पुराना मसौदा पिछले 60 वर्षों में भारत के प्रत्यक्ष कर ढांचे में सबसे बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है। हाउस प्रॉपर्टी इनकम : 30 प्रतिशत स्टैंडर्ड डिडक्शन म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद ही गिना जाएगा। प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट की छूट अब सेल्फ-आॅक्यूपाइड और किराए पर दी गई दोनों प्रॉपर्टीज पर मिलेगी। नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाले कुछ पेआउट टैक्स-फ्री होंगे। कम्यूटेड पेंशन की छूट अब नॉन-एम्प्लॉइज को भी मिलेगी, अगर रकम अप्रूव्ड फंड से आई है। LRS रेमिटेंस पर राहत , एजुकेशन के लिए लोन लेकर भेजी गई रकम पर ठकछ ळउर रहेगा। पुराने ड्राफ्ट में हटाया गया प्रावधान वापस जोड़ा गया, इससे एक ही डिविडेंड पर बार-बार टैक्स लगने से बचाव होगा। शेयर बेनिफिट मिलने पर भी लॉस कैरी-फॉरवर्ड में आसानी होगी।