Mithilesh Yadav
24 Nov 2025
मेरठ। चर्चित सौरभ राजपूत मर्डर केस एक बार फिर सुर्खियों में है। आरोपी मुस्कान रस्तोगी ने रविवार शाम जेल से मेडिकल कॉलेज लाए जाने के बाद एक बच्ची को जन्म दिया। खास बात यह है कि यह डिलीवरी उसी दिन हुई, जिस दिन उसके मारे गए पति सौरभ का जन्मदिन था।

अब इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही उभरकर सामने आया है कि नवजात बच्ची का पिता आखिर कौन है। क्या वह सौरभ की संतान है या फिर मुस्कान के कथित प्रेमी साहिल की बेटी? इसी सवाल के बीच सौरभ के परिवार ने साफ कह दिया है कि वह बिना डीएनए टेस्ट के बच्ची को स्वीकार नहीं करेंगे। सौरभ के भाई बबलू का कहना है कि वह अदालत में जल्द ही डीएनए जांच की औपचारिक मांग करेंगे। परिवार का कहना है कि अगर रिपोर्ट में बच्ची सौरभ की संतान साबित होती है, तो वह उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनाएंगे, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। फिलहाल बच्ची अस्पताल में है और मामला अब पुलिस व अदालत की प्रक्रिया पर निर्भर हो गया है।
शनिवार देर रात पेट में तेज दर्द होने के बाद जेल प्रशासन ने मुस्कान को तुरंत मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों और सुरक्षा टीम की मौजूदगी में उसकी सामान्य डिलीवरी कराई गई। जैसे ही खबर फैली अस्पताल में लोगों की भीड़ जुटने लगी। जिसके बाद महिला वार्ड को बंद कर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात करनी पड़ी। मेडिकल टीम के अनुसार, मुस्कान और नवजात बच्ची दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं और डॉक्टर उनकी लगातार निगरानी कर रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, न तो मुस्कान के मायके से कोई आया और न ही ससुराल से। मुस्कान पहले से तीन साल की एक बेटी की मां है, जो सौरभ के घरवालों के पास रहती है।

मुस्कान और उसके कथित प्रेमी साहिल पर आरोप है कि उन्होंने मार्च में सौरभ की चाकू से हत्या की और आरोप के मुताबिक शव के टुकड़े कर उसे नीले प्लास्टिक के ड्रम में सीमेंट भरकर छिपा दिया। हत्या को अंजाम देने के बाद दोनों बेपरवाही से घूमने हिमाचल प्रदेश चले गए थे, जैसे कुछ हुआ ही न हो। बाद में शक और जांच गहराने पर पुलिस ने दोनों को 19 मार्च को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद यह केस पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया।

जेल प्रशासन के मुताबिक फिलहाल नवजात बच्ची पर पूरा कानूनी अधिकार मुस्कान का ही है और उसी की सहमति के बिना बच्ची को किसी को नहीं सौंपा जा सकता। अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई परिवार या पक्ष बच्ची पर दावा करता है। तभी अदालत की अनुमति के बाद डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ऐसे में यह मामला अब केवल हत्या की सुनवाई तक सीमित नहीं रहा। बल्कि बच्ची की असली पहचान और पिता कौन है इस अहम सवाल का फैसला भी अदालत में ही तय होगा।