Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
People's Reporter
5 Nov 2025
नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने के दो दिन बाद, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग ने बुधवार को जानकारी दी कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के संयुक्त निर्वाचक मंडल के गठन का कार्य प्रारंभ हो चुका है और जल्द ही निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा कर दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त, 2027 तक था। अब संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत “यथाशीघ्र” चुनाव कराना अनिवार्य हो गया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों के आधार पर निर्वाचक मंडल का गठन कर रहा है। साथ ही, निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों के नामों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट किया कि तैयारियां पूरी होते ही उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी।
संविधान के अनुसार, चुनाव कार्यक्रम घोषित होने की तारीख से लेकर मतदान तक अधिकतम 30 दिन का समय होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश को जल्द से जल्द नया उपराष्ट्रपति मिल सके।

भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कुछ आवश्यक शर्तें पूरी करनी होती हैं। उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना अनिवार्य है, उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और वह राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य हो। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या अधीनस्थ प्राधिकरण में लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए। इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करेंगे।
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य मतदान करते हैं। इस बार कुल सदस्यों की संख्या 786 है, जिसमें से 543 लोकसभा और 243 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं (5 राज्यसभा सीटें खाली हैं और एक लोकसभा सीट बशीरहाट, पश्चिम बंगाल से रिक्त है)। उम्मीदवार को जीत के लिए न्यूनतम 394 मतों की आवश्यकता होगी, यदि सभी योग्य सदस्य मतदान करते हैं। चुनाव में मनोनीत सदस्य भी मतदान कर सकते हैं।
लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 542 में से 293 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। वहीं राज्यसभा में एनडीए के पास 129 सदस्यों का समर्थन है, जिसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। इस प्रकार, दोनों सदनों में एनडीए के पास कुल 422 सांसदों का समर्थन है, जो कि बहुमत से अधिक है। इससे साफ है कि एनडीए का उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में मजबूत स्थिति में रहेगा।
विपक्ष के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण होगा। विशेषकर तब, जब कई क्षेत्रीय दलों के रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा अप्रत्याशित था। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा, जिसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद से उनके इस्तीफे की अधिसूचना जारी कर दी थी। अब देश की निगाहें इस ओर हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह चुनाव एकतरफा रहेगा या फिर कोई कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।