Manisha Dhanwani
26 Oct 2025
Manisha Dhanwani
26 Oct 2025
Shivani Gupta
25 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) सोमवार शाम को देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) की तारीखों की घोषणा करेगा। आयोग की यह पहल मतदाता सूची को अधिक सटीक, अद्यतन और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। इस घोषणा के साथ ही देश के कई राज्यों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का पहला चरण शुरू हो जाएगा।
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस शाम 4:15 बजे होगी, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त सुखबीर सिंह संधु और विवेक जोशी मौजूद रहेंगे।
चुनाव आयोग पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में विशेष गहन संशोधन (SIR) की शुरुआत करेगा। इनमें वे राज्य शामिल हैं जहां अगले एक वर्ष में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें प्रमुख रूप से असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव निर्धारित हैं। आयोग का कहना है कि इस चरणबद्ध प्रक्रिया से मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी ताकि चुनावों में किसी भी प्रकार की त्रुटि या गड़बड़ी न हो।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव निर्धारित हैं, वहां अभी SIR लागू नहीं किया जाएगा। कारण यह है कि स्थानीय स्तर के कर्मचारी उन चुनावों में व्यस्त रहेंगे और मतदाता सूची के संशोधन कार्य के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाएंगे। चुनाव समाप्त होने के बाद उन राज्यों में भी SIR की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का मुख्य उद्देश्य है मतदाता सूची की सफाई और अद्यतनता। इस प्रक्रिया में
आयोग का कहना है कि यह पहल उन राज्यों के लिए विशेष रूप से अहम है जहां अगले साल चुनाव हैं, ताकि मतदाता सूची की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
डिजिटल तकनीक से होगी निगरानी
हाल के वर्षों में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के अद्यतन में डिजिटल तकनीक और नवाचार को अपनाया है। अब वोटर हेल्पलाइन ऐप, ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) के डिजिटल प्रशिक्षण के ज़रिए प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया गया है। SIR के दौरान घर-घर सर्वेक्षण, दावे और आपत्तियों का निपटारा, तथा फोटो वोटर आईडी कार्ड अपडेट जैसे कार्य किए जाएंगे।
आयोग ने SIR लागू करने से पहले राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के साथ दो दौर की बैठकें की हैं। इसमें संशोधन प्रक्रिया की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया। कई राज्यों ने अपनी पुरानी वोटर लिस्ट आयोग को उपलब्ध करा दी है। दिल्ली में आखिरी SIR 2008 में, जबकि उत्तराखंड में 2006 में हुआ था। बिहार में हाल ही में वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी की गई है, जिसका अंतिम डेटा 1 अक्टूबर को जारी हुआ था।
हर राज्य में अब जो नई SIR होगी, वह आगे के लिए कट-ऑफ डेट मानी जाएगी। इसी तरह बिहार में 2003 की वोटर लिस्ट को चुनाव आयोग ने आधार बनाया था। अधिकांश राज्यों में आखिरी SIR 2002 से 2004 के बीच हुई थी। अब आयोग का लक्ष्य है कि हर राज्य में एक समान और अद्यतन मतदाता सूची लागू हो सके।
आयोग का एक और प्रमुख उद्देश्य है विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान करना। विशेष रूप से बांग्लादेश और म्यांमार सीमा से जुड़े राज्यों में यह प्रक्रिया सख्ती से लागू की जाएगी ताकि केवल पात्र भारतीय नागरिकों के नाम ही मतदाता सूची में रहें।
बिहार में हाल ही में SIR को लेकर राजनीतिक विवाद हुआ था। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अदालत ने हालांकि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सही ठहराया और आयोग ने अपनी अंतिम वोटर लिस्ट अदालत में प्रस्तुत की।