Manisha Dhanwani
2 Nov 2025
काहिरा। मिस्र ने अपने प्राचीन वैभव और गौरव को एक नए रूप में दुनिया के सामने पेश कर दिया है। गीजा के मशहूर पिरामिडों के पास बना ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम (GEM) शनिवार को आम जनता के लिए खोल दिया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी के साथ कई देशों के नेता भी मौजूद रहे। करीब 1 अरब डॉलर से अधिक की लागत से बने इस म्यूजियम को विश्व का सबसे बड़ा पुरातात्विक संग्रहालय माना जा रहा है।
ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम का सबसे बड़ा आकर्षण राजा तूतनखामुन की कब्र है। 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद हावर्ड कार्टर ने यह कब्र खोजी थी, जिसमें 5500 से अधिक वस्तुएं मिली थीं। अब पहली बार ये सभी वस्तुएं एक ही स्थान पर एक साथ प्रदर्शित की गई हैं। इनमें तूतनखामुन का प्रसिद्ध सोने का मुखौटा, शाही गाड़ियां, आभूषण, धार्मिक प्रतीक और दफन संस्कार की वस्तुएं शामिल हैं।
‘बॉय किंग’ कहलाने वाले तूतनखामुन ने मात्र 9 साल की उम्र में मिस्र की सत्ता संभाली थी और 18 साल की उम्र में उसकी रहस्यमय मौत हो गई थी। उसकी कब्र करीब 3,000 साल तक रेत और चट्टानों के नीचे दबी रही, जब तक कि उसे कार्टर ने खोज नहीं निकाला।

तूतनखामुन की कब्र की खोज जितनी रोमांचक थी, उतनी ही भयावह भी। कब्र के प्रवेश द्वार पर कोई शिलालेख नहीं मिला, लेकिन स्थानीय मजदूरों ने आपस में बात कर रहे थे। उनका कहना था कि, कब्र के प्रवेश द्वार पर चेतावनी लिखी थी- जो राजा की नींद तोड़ेगा, मौत उसके पंखों से आएगी। लगभग 5 महीने बाद 5 अप्रैल 1923 को खुदाई में शामिल लॉर्ड कार्नार्वन की रहस्यमयी मौत हो गई।
उनके अलावा टीम के चार और सदस्य भी एक-एक कर मर गए। किसी ने आत्महत्या की, तो किसी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। इन मौतों को ‘फैरो का श्राप’ कहा गया, जिसने दशकों तक लोगों को हैरान किया। हालांकि, नई DNA और फोरेंसिक रिपोर्ट्स बताती हैं कि मौतों के पीछे कोई श्राप नहीं बल्कि कब्र की दीवारों पर मौजूद बैक्टीरिया और फंगस थे, जो फेफड़ों को संक्रमित कर सकते थे।
ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम में अब तक की सबसे बड़ी 50,000 से ज्यादा प्राचीन वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। इनमें 83 टन वजनी 3,200 साल पुरानी रामेसेस द्वितीय की मूर्ति और 4,500 साल पुरानी खुफू की नाव भी शामिल है, जो पिरामिड बनाने वाले फिरौन से जुड़ी मानी जाती है।
यह संग्रहालय 4.7 लाख वर्ग मीटर में फैला है, जो लगभग 70 फुटबॉल मैदानों के बराबर है। म्यूजियम में 12 विशाल गैलरियां बनाई गई हैं, जो प्रागैतिहासिक काल से लेकर रोमन युग तक मिस्र के इतिहास को थीम के आधार पर दर्शाती हैं।

GEM सिर्फ इतिहास देखने की जगह नहीं, बल्कि सीखने का केंद्र भी है। यहां बच्चों का म्यूजियम, एजुकेशन और कॉन्फ्रेंस सेंटर, और एक बड़ा संरक्षण केंद्र (कंजर्वेशन लैब) भी बनाया गया है। इससे नई पीढ़ी को मिस्र की सांस्कृतिक विरासत को समझने और संरक्षित करने का अवसर मिलेगा।
सरकार का अनुमान है कि, इस म्यूजियम के खुलने के बाद हर साल करीब 80 लाख पर्यटक मिस्र आएंगे। यह म्यूजियम मिस्र के पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है। राष्ट्रपति अल-सीसी ने कहा कि, यह सिर्फ म्यूजियम नहीं, बल्कि हमारी आत्मा और इतिहास का नया घर है।
इतिहास के इतने बड़े खजाने को लेकर सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। हाल ही में काहिरा की एक लैब से 3000 साल पुरानी सोने की कलाई-पट्टी चोरी होने की खबर ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, GEM प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा सिस्टम अत्याधुनिक है और चोरी या नुकसान की कोई संभावना नहीं है।