बाल विवाह मुक्त भारत... भुवन ऋभु बोले- पर्सनल लॉ की आड़ में बाल विवाह नहीं, सभी धर्मों पर लागू हो कानून, राजगढ़ में सबसे अधिक चाइल्ड मैरेज
भोपाल। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक और वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन से सम्मानित अधिवक्ता भुवन ऋभु ने बाल विवाह पर सख्ती से रोक लगाने की मांग की। होटल पलाश में सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 को सभी धर्मों और समुदायों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा के मामले में किसी भी पर्सनल लॉ या धार्मिक परंपरा को कानून पर तरजीह नहीं मिलनी चाहिए। मध्य प्रदेश बाल अधिकारों की सुरक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम जरूरी
भुवन ऋभु ने बताया कि मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने की राष्ट्रीय लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर है। राज्य की कुल 7.3 करोड़ आबादी में 40% बच्चे हैं, इसलिए यहां बाल विवाह, ट्रैफिकिंग और यौन हिंसा जैसी चुनौतियों से निपटना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि सरकार और नागरिक समाज के तालमेल से निर्णायक कदम उठाए गए हैं।
मध्य प्रदेश में 36,838 बाल विवाह रोके
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के नेटवर्क ने अप्रैल 2023 से अगस्त 2025 के बीच मध्य प्रदेश के 41 जिलों में 36,838 बाल विवाह रोके, 4,777 ट्रैफिकिंग पीड़ित बच्चों को मुक्त कराया और 1200 से अधिक यौन शोषण के शिकार बच्चों की मदद की। इस मॉडल में नागरिक समाज, पुलिस, अधिवक्ताओं, बाल कल्याण समितियों और समुदायों ने मिलकर काम किया, जिससे बच्चों की सुरक्षा के राज्य की क्षमता मजबूत हुई।
MP में बाल विवाह पर भी दिखे वही संकल्प
ऋभु ने कहा कि जिस तरह मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया, उसी तरह बाल विवाह पर भी सरकार को सख्त संकल्प दिखाना होगा। उन्होंने कहा- 'बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इसे हर हाल में धार्मिक विश्वासों और पर्सनल लॉ पर तरजीह मिलनी चाहिए।'
पर्सनल लॉ से ऊपर होना चाहिए पीसीएमए
भुवन ऋभु ने कहा कि हाल ही में कुछ अदालतों के फैसलों में पर्सनल लॉ को पीसीएमए से ऊपर माना गया, जबकि कानून स्पष्ट रूप से किसी भी परंपरा, प्रथा या धार्मिक संहिता से ऊपर है। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से अपील की कि वह इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे सभी धर्मों के लिए बाध्यकारी बनाए।
राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नतीजे
- जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के अनुसार अप्रैल 2023 से जुलाई 2025 तक देशभर में 3,74,000 बाल विवाह रोके गए।
- 1,00,000 से अधिक बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया गया
- 34,000 पीड़ित बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता दी गई
- 63,000 से अधिक मामलों में कानूनी कार्रवाई हुई
- 1,000 से अधिक ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामले दर्ज हुए
ऋभु ने कहा कि ये आंकड़े साबित करते हैं कि यदि कानून को सख्ती से लागू किया जाए तो बच्चे सचमुच सुरक्षित रह सकते हैं।
मध्य प्रदेश में चिंताजनक हालात
मध्य प्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1% है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3% से थोड़ी कम है। लेकिन कुछ जिलों में हालात बेहद गंभीर हैं-
- राजगढ़: 46%
- श्योपुर: 39.5%
- छतरपुर: 39.2%
- झाबुआ: 36.5%
- आगर मालवा: 35.6%
ऋभु ने कहा कि कानून पर ढिलाई के कारण बच्चियां पढ़ाई छोड़ने और शोषण व गरीबी के दुष्चक्र में फंसने के लिए मजबूर हो रही हैं।
2030 तक ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ का लक्ष्य
मध्य प्रदेश में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) नेटवर्क के 17 सहयोगी संगठन पिछले दो साल से 41 जिलों में काम कर रहे हैं। यह नेटवर्क बाल विवाह, ट्रैफिकिंग, बाल यौन शोषण और बाल श्रम रोकने के लिए जागरूकता व कानूनी हस्तक्षेप दोनों रणनीतियों पर काम करता है। यह संगठन ‘चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ अभियान का भी हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाना है।