Aakash Waghmare
23 Nov 2025
Manisha Dhanwani
23 Nov 2025
Aakash Waghmare
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के 33 लाख से अधिक कर्मचारियों और 66 लाख से अधिक पेंशनधारकों को लंबे समय से 8वें वेतन आयोग का इंतजार है, ताकि उन्हें अपने वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी मिल सके। लेकिन हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह उम्मीद कुछ हद तक निराशा में बदल सकती है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर महज 1.8 रखा जा सकता है।
यदि ऐसा होता है, तो वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 13% के आसपास होगी, जो पिछले वेतन आयोगों की तुलना में काफी कम है। दिसंबर 2025 में खत्म होने जा रहे 7वें वेतन आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर दिया था, जिसने 2016 में 14.3 फीसदी की वेतनवृद्धि दी थी। जिससे न्यूनतम बेसिक वेतन 7,000 रुपए से बढ़कर 18,000 रुपए हो गया था। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि यह फैक्टर केवल बेसिक वेतन पर लागू होता है, न कि पूरी सैलरी पर। यानी अगर नए आयोग में फिटमेंट फैक्टर घटकर 1.8 हो जाता है, तो कर्मचारियों के लिए यह आर्थिक रूप से नुकसानदेह साबित हो सकता है।
पिछले वेतन आयोगों के फैसलों की तुलना में यह प्रस्तावित वृद्धि न केवल कम है, बल्कि मौजूदा महंगाई और जीवन यापन की लागत के मद्देनज़र भी काफी अपर्याप्त मानी जा रही है। कर्मचारी संगठनों, खासतौर पर नेशनल काउंसिल-जेसीएम के स्टाफ साइड ने इस प्रस्तावित कमी का विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह फैसला कर्मचारियों का मनोबल गिरा सकता है और प्रशासनिक कानून के नॉन-रेट्रोग्रेशन सिद्धांत का उल्लंघन भी करता है, जिसके अनुसार पहले दिए गए लाभों को बिना उचित कारण घटाया नहीं जा सकता। 8वें वेतन आयोग की औपचारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन प्रारंभिक संकेतों से यह स्पष्ट है कि सरकार वेतन वृद्धि के मामले में इस बार सतर्क रुख अपना सकती है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि सरकार पर पहले से ही वित्तीय दबाव है और अगले वित्तीय वर्षों में बजट प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
एक केंद्रीय कर्मचारी के वेतन में चार मुख्य हिस्से होते हैं-बेसिक पे, डीए (महंगाई भत्ता), एचआरए (गृह किराया भत्ता), और परिवहन भत्ता। डीए हर साल दो बार यानी जनवरी और जुलाई में संशोधित किया जाता है, जिससे महंगाई के असर को कुछ हद तक संतुलित किया जा सके। जनवरी 2025 तक यह डीए बेसिक पे का 55% तक पहुंच गया है। लेकिन जब नया वेतन आयोग लागू होता है, तो डीए को फिर से शून्य कर दिया जाता है और उसे नए बेसिक वेतन में मिला दिया जाता है।
यही प्रक्रिया 8वें वेतन आयोग के साथ भी होगी। ऐसे में यदि फिटमेंट फैक्टर कम रखा जाता है, तो इसका असर सीधे कर्मचारियों की जेब पर पड़ेगा और पेंशनधारकों की मासिक आय पर भी। जहां 7वें वेतन आयोग में 14.3% की वृद्धि हुई थी, वहीं अब सिर्फ 13% की अनुमानित वृद्धि कर्मचारी संगठनों और आम कर्मचारियों के लिए निराशाजनक हो सकती है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार कर्मचारी संगठनों की आपत्तियों को ध्यान में रखती है या फिर आर्थिक संतुलन को प्राथमिकता देती है।
अब तक के विभिन्न वेतन आयोगों द्वारा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में वास्तविक बढ़ोतरी (यानी मूल वेतन और महंगाई भत्ते में बदलाव) को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि हर आयोग ने अलग-अलग स्तर की वृद्धि दी है। दूसरे वेतन आयोग में कुल 14.2% की वास्तविक वेतन वृद्धि हुई थी। इसके बाद तीसरे वेतन आयोग में यह बढ़कर 20.6% हो गई। चौथे वेतन आयोग ने कर्मचारियों को 27.6% की वृद्धि दी, जबकि पांचवें वेतन आयोग ने इस बढ़ोतरी को और आगे बढ़ाते हुए 31% तक पहुंचा दिया था। सबसे बड़ा उछाल छठे वेतन आयोग में देखा गया, जिसमें कुल 54% की उल्लेखनीय वेतन वृद्धि हुई थी। इसके बाद सातवें वेतन आयोग में यह वृद्धि अपेक्षाकृत कम होकर 14.3% पर आ गई।
इस आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि वेतन आयोगों की सिफारिशों में वास्तविक वेतन वृद्धि का स्तर समय के साथ घटता गया है, विशेष रूप से सातवें वेतन आयोग में, छठे के मुकाबले काफी कम बढ़ोतरी देखने को मिली। यही कारण है कि अब 8वें वेतन आयोग से अपेक्षाएं तो बहुत हैं, लेकिन अगर फिटमेंट फैक्टर कम रखा गया, तो यह वृद्धि कम हो सकती है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनधारकों को निराशा हो सकती है।