vikrant gupta
8 Oct 2025
गुना। हाल ही में घटी घटनाओं ने जिले की स्वास्थ्य और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। श्रीराम कॉलोनी निवासी रामकली जोशी का जिला अस्पताल में इलाज के अभाव में निधन हो गया था। परिजनों का दर्द यहीं खत्म नहीं हुआ। शनिवार को तीसरे दिन जब परिवारजन अस्थि संचय के लिए मुक्तिधाम पहुंचे तो वहां अस्थियां, खोपड़ी और राख तक गायब थीं।
गुरुवार को बांसखेड़ी-रशीद कॉलोनी मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया गया था। सनातन परंपरा के अनुसार तीसरे दिन अस्थि संचय के लिए पहुंचे परिवारजन स्तब्ध रह गए। वहां राख और अस्थियां पूरी तरह गायब थीं, यहां तक कि सिर की खोपड़ी तक नहीं मिली। केवल दो-तीन किलो राख ही बची थी।
मुक्तिधाम पर चौकीदार नियुक्त है, फिर भी अस्थियों के गायब होने ने कई सवाल खड़े कर दिए। परिजनों का कहना है कि यह सीधे-सीधे चोरी का मामला लगता है। पुलिस को जानकारी दी गई, लेकिन कार्रवाई के बजाय केवल जांच का आश्वासन ही मिला।
रामकली जोशी के बेटे कृष्णा जोशी ने रोते हुए कहा- पहले अस्पताल में मां को तड़पते देखा, अब मुक्तिधाम पर उनकी अस्थियां तक सुरक्षित नहीं रहीं। समझ नहीं आता, हमारे साथ इतना सब क्यों हो रहा है।
परिजनों के अनुसार, रामकली जोशी को समय पर ऑक्सीजन और विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिले। व्हीलचेयर तक की सुविधा न होने पर गार्ड ने परिजनों से कहा कि मरीज को ठेले में डालकर ले जाओ। आखिरकार महिला ने वार्ड में ही तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।
मौके पर पहुंचे नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष शेखर वशिष्ठ ने कहा कि मुक्तिधामों में अस्थियों के चोरी होने या लापरवाही के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। उन्होंने नगर पालिका प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मांग की कि सभी मुक्तिधामों पर स्थायी चौकीदार तैनात किए जाएं और परिषद की बैठक बुलाकर ठोस व्यवस्था बनाई जाए।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर जिला प्रशासन और नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल की बदइंतजामी से मां की जान गई और मुक्तिधाम की अव्यवस्था से अस्थियां तक सुरक्षित नहीं रहीं।
यह मामला अब केवल एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज की आस्था और भरोसे का सवाल है। यदि अस्पताल में मरीज सुरक्षित नहीं और मुक्तिधाम में मृतकों की अस्थियां सुरक्षित नहीं, तो लोग आखिर भरोसा कहां करें?
(रिपोर्ट - राजकुमार रजक)