vikrant gupta
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
राजीव सोनी
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में संभाग और जिलों के संगठन मंत्री रहे फिर निगम-मंडल व आयोग-प्राधिकरण की कमान संभाल चुके शैलेंद्र बरुआ, आशुतोष तिवारी, जितेंद्र लिटोरिया और जयपाल सिंह चावड़ा सहित कई अन्य दिग्गज एक बार फिर उम्मीद से हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की कार्यकारिणी अथवा निगम-मंडलों में होने वाली नियुक्तियों के लिए उन्होंने जोर-शोर से अपनी दावेदारी पेश की है। कई दावेदार प्रदेश सहित केंद्रीय नेताओं के सामने भी अपनी बात रख चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव के पहले निगम-मंडलों, प्राधिकरण और आयोगों में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। हेमंत खंडेलवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनकी टीम गठन की प्रक्रिया भी चल रही है, इसलिए दावेदार ज्यादा सक्रिय हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व में जिन्हें दर्जा मंत्री पद देकर उपकृत किया जा चुका है उनके स्थान पर पार्टी अब नए और योग्य चेहरों को मौका देने का विचार कर रही है।
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बन गई है। संगठन मंत्री रहे ये नेता भी सत्ता-संगठन में अपने लिए जवाबदारी देने का आग्रह कर रहे हैं। महत्वपूर्ण नियुक्ति के लिए ये दिल्ली तक एप्रोच कर रहे हैं। संगठन मंत्री के बाद निगम-मंडलों की कमान संभाल चुके पार्टी के ये दिग्गज संघ पृष्ठभूमि से भी रहे हैं। इनमें शैलेंद्र बरुआ- पाठ्य पुस्तक निगम, आशुतोष तिवारी- हाउसिंग बोर्ड, जितेंद्र लिटोरिया-खादी ग्रामोद्योग, विजय दुबे-मेला प्राधिकरण, तपन भौमिक-पर्यटन निगम और जयपाल चावड़ा इंदौर विकास प्राधिकरण की कमान संभाल चुके हैं। श्याम महाजन और केशव भदौरिया भाजपा कार्यकारिणी में क्रमश: प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री रहे हैं।
मप्र में 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले से ये सभी संभागीय संगठन मंत्री तैनात थे, लेकिन चुनावी नतीजे भाजपा के खिलाफ रहे, पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। इसके दो साल बाद 2021 में संगठन मंत्रियों की व्यवस्था खत्म कर दी गई। इसके बाद ही कई संगठन मंत्रियों को दर्जा मंत्री का पद देकर उपकृत किया गया था। हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव भाजपा के पक्ष में रहे। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे कहते हैं-निगम-मंडलों अथवा प्राधिकरणों में नेताओं को एडजस्ट करने में योग्यता ही प्रमुख क्राइटेरिया रहनी चाहिए। संस्था को जो व्यक्ति सक्षमता से संचालित कर सके, उसे अवसर देने की मान्य परंपरा है। इसमें नया-पुराना कोई भी हो सकता है, राजनीतिक नियुक्तियां इसलिए ही की जाती हैं।