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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को संगठन स्तर पर बड़ा कदम उठाते हुए छह राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और मध्य प्रदेश शामिल हैं। सभी नियुक्तियां निर्विरोध हुईं। मध्य प्रदेश में हेमंत विजय खंडेलवाल ने निर्विरोध नामांकन भरा है, जिनकी जीत की औपचारिक घोषणा बुधवार को की जाएगी।
इन नियुक्तियों के साथ भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की दिशा भी साफ हो गई है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि 50 प्रतिशत राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चयन न हो जाए। भाजपा की कुल 37 राज्य इकाइयां हैं, जिनमें से अब तक 14 में चुनाव हो चुके थे और मंगलवार को 19 और राज्यों में अध्यक्ष चुने गए। इससे स्पष्ट है कि जुलाई में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष तय किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने एक बार फिर राजीव बिंदल पर भरोसा जताया है। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। बिंदल प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और संगठन के साथ-साथ सरकार में भी उनकी पकड़ मानी जाती है। उनकी नियुक्ति को पार्टी की स्थिरता की रणनीति के तहत देखा जा रहा है। इससे पहले भी वे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन को चुनावी तैयारियों में दिशा दे चुके हैं।
उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट को लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भट्ट अप्रैल 2024 में राज्यसभा सदस्य चुने गए थे और वे पूर्व में चमोली जिले की बद्रीनाथ विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। भट्ट को दोबारा मौका देकर भाजपा ने यह संकेत दिया है कि पार्टी राज्य में नेतृत्व में स्थायित्व और निरंतरता चाहती है।
तेलंगाना में एन. रामचंदर राव को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, हालांकि इस फैसले का विरोध भी हुआ। गोशामहल से भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने इस नियुक्ति से असहमति जताते हुए सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रामचंदर राव तेलंगाना हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और पहले राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। वे लंबे समय से संघ और भाजपा से जुड़े रहे हैं। छात्र जीवन में वे हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य थे। हाल ही में वे राज्य में पार्टी के सदस्यता अभियान का नेतृत्व भी कर रहे थे।
भाजपा ने आंध्र प्रदेश में पीवीएन माधव को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। माधव 2003 में भाजयुमो के साथ सक्रिय राजनीति में आए थे और 2007 से 2010 तक प्रदेश भाजयुमो के महासचिव और फिर 2010 से 2013 तक राष्ट्रीय सचिव रहे। बाद में वे राज्य विधान परिषद के सदस्य भी बने। माधव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीब माना जाता है। उनके पिता पीवी चलपति राव अविभाजित आंध्र प्रदेश में भाजपा के पहले अध्यक्ष थे और पार्टी के संस्थापक सदस्यों में गिने जाते हैं। माधव की नियुक्ति को संगठन और संघ के समन्वय के रूप में देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र में रवींद्र चव्हाण को पहली बार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। वे डोंबिवली विधानसभा सीट से लगातार चार बार से विधायक हैं। उन्होंने 2009 में पहली बार विधायक के रूप में जीत दर्ज की थी। चव्हाण एकनाथ शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का प्रभार दिया गया था और बाद में लोक निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री के रूप में भी सेवा दी। इससे पहले वे देवेंद्र फडणवीस सरकार में चिकित्सा शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी नियुक्ति से स्पष्ट है कि भाजपा महाराष्ट्र में अनुभवी और भरोसेमंद नेताओं पर दांव खेल रही है।
मध्य प्रदेश में हेमंत विजय खंडेलवाल ने प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध नामांकन दाखिल किया है और उनकी नियुक्ति की औपचारिक घोषणा बुधवार को की जाएगी। हेमंत खंडेलवाल प्रदेश भाजपा के अनुभवी नेता हैं और उनकी छवि काफी साफ सुथरी मानी जाती है। उनके नाम पर पार्टी में एकराय बनी है।
इन नियुक्तियों के साथ ही भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अब तक 50% से अधिक राज्य इकाइयों में अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है, जो भाजपा के संविधान के अनुसार आवश्यक है। संभावना है कि जुलाई के महीने में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में यह बदलाव आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है।
हेमंत विजय खंडेलवाल फिलहाल बैतूल विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली। उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल बीजेपी के दिग्गज नेता थे और बैतूल से सांसद रहे। 2008 में पिता के निधन के बाद हुए उपचुनाव में हेमंत ने पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में कदम रखा। इसके बाद 2013 में वे बैतूल विधानसभा सीट से विधायक बने और 2023 में फिर इसी सीट से दोबारा चुने गए। मध्य भारत के राजनीतिक परिदृश्य में उन्हें एक संतुलित, अनुभवी और प्रभावी नेता माना जाता है।

हेमंत खंडेलवाल का जन्म 3 सितंबर 1964 को मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने B.Com और LL.B की पढ़ाई की है। व्यवसाय से जुड़े रहे हेमंत राजनीति में पूरी तरह सक्रिय तब हुए जब पिता का निधन हुआ और उन्हें जनता ने बतौर सांसद चुना। इसके बाद उन्होंने विधानसभा में आकर जनसेवा को नई दिशा दी।