Shivani Gupta
24 Oct 2025
बिलासपुर में फर्जी EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट बनाकर MBBS में एडमिशन लेने का मामला सामने आया है। इस कांड में भाजपा नेता की भतीजी समेत तीन छात्राओं के नाम शामिल हैं। जांच में पाया गया कि जारी किए गए सर्टिफिकेट पर अलग-अलग सील लगी हैं और तहसीलदार के हस्ताक्षर भी मेल नहीं खाते।
तहसीलदार और एसडीएम ने इन प्रमाणपत्रों को फर्जी करार देते हुए रिपोर्ट कलेक्टर और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को भेजी है। अब पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है।
छात्राओं और उनके परिजनों ने दावा किया कि उन्होंने सभी दस्तावेज नियमों के तहत जमा किए थे। लेकिन तहसील कार्यालय से उनके दस्तावेज गायब हो गए।
यह मामला उजागर होने के बाद तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। आवेदकों ने ऑनलाइन आवेदन भी किया था, लेकिन उसका रिकॉर्ड कार्यालय में मौजूद नहीं है। अब जांच समिति आवेदकों के ऑनलाइन डेटा और तहसील कार्यालय की फाइलों का मिलान कर रही है।
जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद तहसील कार्यालय के क्लर्क प्रहलाद सिंह नेताम को नोटिस जारी कर प्रभार से हटा दिया गया है। माना जा रहा है कि पूरे मामले में उसकी भूमिका संदिग्ध है।
फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने MBBS एडमिशन के लिए जमा किए गए EWS सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन तहसील कार्यालय से कराई। जांच में तीनों सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इन पर अलग-अलग सील और गलत हस्ताक्षर थे, साथ ही कार्यालय में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़ी छात्राओं के नाम इस प्रकार हैं-