बिलासपुर में फर्जीवाड़ा उजागर : EWS सर्टिफिकेट पर फर्जी साइन, गायब मिले मूल दस्तावेज
बिलासपुर में फर्जी EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट बनाकर MBBS में एडमिशन लेने का मामला सामने आया है। इस कांड में भाजपा नेता की भतीजी समेत तीन छात्राओं के नाम शामिल हैं। जांच में पाया गया कि जारी किए गए सर्टिफिकेट पर अलग-अलग सील लगी हैं और तहसीलदार के हस्ताक्षर भी मेल नहीं खाते।
तहसीलदार और SDM ने रिपोर्ट में किया खुलासा
तहसीलदार और एसडीएम ने इन प्रमाणपत्रों को फर्जी करार देते हुए रिपोर्ट कलेक्टर और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को भेजी है। अब पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है।
आवेदकों का दावा - दस्तावेज जमा किए थे
छात्राओं और उनके परिजनों ने दावा किया कि उन्होंने सभी दस्तावेज नियमों के तहत जमा किए थे। लेकिन तहसील कार्यालय से उनके दस्तावेज गायब हो गए।
तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह मामला उजागर होने के बाद तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। आवेदकों ने ऑनलाइन आवेदन भी किया था, लेकिन उसका रिकॉर्ड कार्यालय में मौजूद नहीं है। अब जांच समिति आवेदकों के ऑनलाइन डेटा और तहसील कार्यालय की फाइलों का मिलान कर रही है।
क्लर्क पर गिरी गाज
जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद तहसील कार्यालय के क्लर्क प्रहलाद सिंह नेताम को नोटिस जारी कर प्रभार से हटा दिया गया है। माना जा रहा है कि पूरे मामले में उसकी भूमिका संदिग्ध है।
कैसे खुला फर्जीवाड़ा?
फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने MBBS एडमिशन के लिए जमा किए गए EWS सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन तहसील कार्यालय से कराई। जांच में तीनों सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इन पर अलग-अलग सील और गलत हस्ताक्षर थे, साथ ही कार्यालय में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
जिन छात्राओं के नाम आए सामने
फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़ी छात्राओं के नाम इस प्रकार हैं-
- श्रेयांशी गुप्ता, पिता सुनील गुप्ता (डेयरी व्यवसायी और भाजपा नेता सतीश गुप्ता की भतीजी)
- सुहानी सिंह, पिता सुधीर सिंह, निवासी लिंगियाडीह, सीपत रोड
- भाव्या मिश्रा, पिता सूरज कुमार मिश्रा, निवासी सरकंडा