
बिहार के पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां अंधविश्वास और झाड़-फूंक के शक में गांव के लोगों ने एक ही परिवार के 5 सदस्यों को पहले पीटा और फिर जिंदा जलाकर मार डाला। यह वारदात रविवार रात की है और इसका संबंध डायन के आरोप से जुड़ा है। मृतकों में बाबूलाल उरांव, सीता देवी, मनजीत उरांव, रनिया देवी और तपतो मोसमत शामिल हैं।
बच्चे की मौत को बताया ‘डायन’ का असर
जानकारी के मुताबिक, गांव के ही रामदेव उरांव के बेटे की झाड़-फूंक के दौरान मौत हो गई थी और दूसरे बेटे की तबीयत बिगड़ रही थी। इसके बाद गांववालों ने इसका दोष एक निर्दोष परिवार पर मढ़ दिया। अंधविश्वास की आग में जलते लोगों ने पूरा परिवार घेरकर पहले उन्हें बुरी तरह पीटा और फिर जलाकर मार दिया। घटना में पूरा गांव शामिल बताया जा रहा है।
जलते शवों को पानी में फेंका गया
मृतकों के परिजनों में से इकलौते बचे ललित कुमार ने बताया कि हत्या के बाद शवों को पानी में फेंक दिया गया। चार शव तालाब से जली अवस्था में बरामद किए जा चुके हैं। घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है और कई लोग घर छोड़कर भाग चुके हैं।
एक आरोपी गिरफ्तार, बाकी फरार
पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी नकुल कुमार को गिरफ्तार किया है, जिस पर भीड़ को उकसाने का आरोप है। DSP पंकज शर्मा और SP स्वीटी सहरावत ने बताया कि घटना पूरी तरह से झाड़-फूंक और अंधविश्वास से जुड़ी है और जांच के लिए डॉग स्क्वायड और एफएसएल टीम को भी मौके पर बुलाया गया है।
बच्चा सहमा हुआ, FIR दर्ज नहीं
इस वीभत्स हत्याकांड के चश्मदीद एक मासूम बच्चा है, जो खुद को छिपाकर बचा सका। बच्चा इतना डरा हुआ है कि उससे अब तक पूरी जानकारी नहीं मिल पाई, इस कारण FIR दर्ज नहीं हो सकी है।
तेजस्वी यादव का सरकार पर हमला
घटना पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा – पूर्णिया में 5 लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया गया। सिवान, बक्सर, भोजपुर – हर जगह नरसंहार हो रहे हैं। अपराधी सतर्क, मुख्यमंत्री अचेत।
सवाल खड़े करती है यह बर्बरता
ये घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था, बल्कि समाज की चेतना और संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां 21वीं सदी में विज्ञान और शिक्षा की बातें हो रही हैं, वहां आज भी डायन प्रथा और अंधविश्वास के नाम पर निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।