Garima Vishwakarma
19 Nov 2025
Aakash Waghmare
19 Nov 2025
Hemant Nagle
19 Nov 2025
Naresh Bhagoria
19 Nov 2025
Naresh Bhagoria
19 Nov 2025
पल्लवी वाघेला-भोपाल। राजधानी भोपाल को फूड हब के रूप में भी जाना जाता है। यहां एक से बढ़कर एक देसी और विदेशी कैफे और रेस्टोरेंट हैं, लेकिन अब एक स्पेशल रेस्टोरेंट चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, यहां डेफ और म्यूट (मूक-बधिर) स्टाफ काम करता है। आमतौर पर दिव्यांगों को बेचारगी की नजरों से देखा जाता है। इसी सोच को बदलता है यह इकोज कैफे। भोपाल में इसकी शुरुआत की गई है।
यह मप्र में इकोज की पहली फ्रेंचाइजी है। फरवरी में शुरुआत के बाद से शानदार एंबिएंस और खाने के साथ ही डेफ और म्यूट स्टाफ की हॉस्पिटैलिटी से यह रेस्टोरेंट खासा पापुलर हो चुका है। यहां आने वाले लोगों का कहना है कि डेफ और म्यूट स्टाफ को इतना प्रोफेशनली और कॉन्फिडेंटली काम करते देख उनकी सोच बदल गई है और वो यहां से मोटिवेट होकर जाते हैं। रेस्टोरेंट में विजिट करने वाले लोग अपने परिचितों से भी इस बारे में चर्चा जरूर करते हैं, इसलिए इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
दस नंबर मार्केट में स्थित रेस्टोरेंट के मालिक सिद्धार्थ सोनी ने बताया कि इकोज कैफे इंडिया का पूरा सिस्टम बना हुआ है। इस कॉन्सेप्ट की शुरुआत दिल्ली से हुई थी। काम करने के लिए स्टाफ को एक एनजीओ की मदद से ट्रेनिंग दी जाती है। मेन्यू कार्ड में हर डिश के लिए एक कोड लिखा है। दिए गए कार्ड पर डिश का कोड लिखने के बाद ऊपर लगे हैंगिंग स्विच को दबाना होता है। स्टाफ को इससे कनेक्ट लाइट के जलने पर पता चल जाता है कि किस टेबल पर उन्हें बुलाया जा रहा है। इसके बाद वह ऑर्डर लेकर खुद सर्व भी करते हैं।
बिजनेस फैमिली से हूं। मैंने लंदन से इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट किया है। मन था अपना स्टार्टअप शुरू करने का। सर्च करते हुए इकोज के बारे में पता चला। यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो इंक्लूसिव और एक्सेसिबल एटमॉस्फियर डेवलप करने और समाज की सोच को बदलने का जरिया भी है। जो भी लोग यहां आते हैं, वह खाने के साथ ही स्टाफ के काम करने के तरीके से खासे प्रभावित होकर जाते हैं। -सिद्धार्थ सोनी, ऑनर, इकोज कैफे