Mithilesh Yadav
23 Sep 2025
Peoples Reporter
23 Sep 2025
Mithilesh Yadav
23 Sep 2025
Hemant Nagle
23 Sep 2025
शाहिद खान
भोपाल । शहर में ऑफिस, स्कूल और कोचिंग आने-जाने में स्मार्ट साइकिल का इस्तेमाल करने वालों के लिए खबर मायूस करने वाली है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में उन्हें स्मार्ट साइकिल चलाने को न मिले, क्योंकि कंपनी को एक्सटेंशन न मिलने से एनवायरमेंट प्रोटेक्शन और ट्रैफिक वॉल्यूम कम करने पर ‘अर्बन एनवायरोमेंट’ तमगे से नवाजी जा चुकी पब्लिक बाइक शेयरिंग सर्विस (पीबीएस) का भविष्य अनिश्चितता से घिर गया है। एक्सटेंशन मामले में स्मार्ट सिटी और चार्टड कंपनी के बीच हुई बातचीत का अब तक कोई पॉजीटिव रिजल्ट सामने नहीं आया है, जबकि आने वाले कुछ हफ्तों में कंपनी का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने वाला है।
शुरुआत से ही बाइक शेयरिंग सर्विस में लोगों को रुझान देखने को मिला। बाइक शेयरिंग सर्विस ऑपरेटर कंपनी चार्टर्ड के आंकड़ों के मुताबिक हर दिन हर पांच मिनट में एक रजिस्ट्रेशन हुआ। यानी हर घंटे 12 लोग बाइक शेयरिंग सर्विस से जुड़े। वर्तमान में करीब 40 हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
1. साइकिलों की कमी और यूजर्स ज्यादा होने की वजह से सुबह (5 बजे से 8 बजे) और शाम (6 बजे से 8 बजे) तक पीक ऑवर्स में स्टेशन से साइकिलें गायब रहती हैं।
2. 40 हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हैं, जबकि साइकिलें महज 500 हैं। सर्विस शुरू होने के बाद अब तक साइकिलों को वॉश नहीं किया गया, जिससे वह गंदी दिखती हैं।
3. साइकिल स्टेशन पर गंदगी और अतिक्रमण है। कई साइकिल स्टेशनों के आसपास चार पहिया और दो पहिया वाहन पार्क होते हैं। कई बार बाइक डॉकिन यार्ड में लॉक नहीं होतीं, जिससे लगातार चार्ज लगा रहता है।
स्मार्ट बाइक और स्टेशनों का लगातार मेंटेनेंस चलता रहता है। जिन साइकिलों में खराबी आती है उन्हें तत्काल वर्कशॉप में लाकर सुधारा जाता है। स्मार्ट सिटी कंपनी से हमारा करार नवंबर तक है। एक्सटेंशन को लेकर चर्चा हुई है, लेकिन कोई पॉजीटिव रिजल्ट नहीं मिला है।
सुमित सेन, मैनेजर, स्मार्ट बाइक
जिस शान-ओ-शौकत से पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट लाया गया था, उस हिसाब से इसका आॅपेशन और मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा। इसे बंद करने से बेहतर है कि इस प्रोजेक्ट को सुधारा जाए। इसे ज्यादा से ज्यादा पब्लिक फ्रेंडली बनाया जाए, क्योंकि लोग सायकिलिंग करना पसंद करते हैं।
कब शुरू हुई योजना : 25 जून 2017
लागत- 3 करोड़
साइकिल- 500
स्टेशन-55
संचालन- चार्टड बाइक कंपनी, अहमदाबाद
रजिस्ट्रेशन- 40 हजार
यूजर्स प्रतिदिन-1000
बीआरटीएस कॉरीडोर के आकार लेने के दौरान आरआरएल तिराहा से मिसरोद तक सड़क के दोनों ओर 12 किमी का साइकिल ट्रैक बनाया गया। तब इसीक लागत 4.81 करोड़ रुपए लागत आई थी, जबकि एक साल बाद ही इस पर रेड पेंट कराने और बोलार्ड लगाने आदि पर 1.40 करोड़ रुपए खर्च हुए। अब ये बेरंग होने के साथ ही जगह-जगह से उखड़ चुका। मेंटेनेंस न होने से ये बदहाल होता जा रहा है। इसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, लेकिन इन्हें छिपाने के लिए मरम्मत करने के बजाय लाल पेंट करवा दिया जाता है। लेकिन बरसात ने लापरवाही की परतें खोल दी हैं।
बता दें कि होशंगाबाद रोड पर सितंबर 2017 में इस साइकिल ट्रैक पर स्मार्ट सिटी कंपनी ने पब्लिक बाइक शेयरिंग सेवा शुरू की थी। लेकिन निर्माण के समय से ही इस साइकिल ट्रैक की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। साइकिल प्रेमियों के लिए बनाया गया लाल रंग का ट्रैक अब गड्ढों की भेंट चढ़ता जा रहा है। ट्रैक पर हर जगह गड्ढे, कीचड़ और जानवरों का अड्डा नजर आता है। यहां साइकिल चलाना तो दूर, चलना भी मुसीबत हो गया है। स्मार्ट सिटी इस साइकिल ट्रैक को शहरवासियों के लिए एक बेहतरीन सौगात बताता आया है, लेकिन करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद भी इसे सहेजने का प्रयास नहीं किया गया।
साइकल ट्रैक पर एक दर्जन से अधिक स्थानों पर निर्माण सामग्री और जानवर रुकावट बनने रहे हैं। होशंगाबाद रोड के किनारे ट्रैक पर विद्यानगर, बागसेवनियां व मिसरोद समेत अन्य स्थानों पर लोगों ने गिट्टी, सीमेंट, ईंट व सरिए पड़े हुए हैं। इससे कई स्थानों पर रास्ता बंद है। यहां लोगों का साइकिल चलाना मुश्किल हो गया है।
करोड़ो रुपए के इस ट्रैक पर साईकिल चलाते लोग तो दिखते नहीं हैं, लेकिन यहां हाथ ठेले व गुमठियां संचालित हो रही हैं। नगर निगम द्वारा इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं। यहां विद्यानगर, बागसेवनियां, बावड़िया कला, आशिमा माल और मिसरोद के आसपास दो दर्जन से अधिक हाथठेलों का अतिक्रमण हैं।
5 मीटर चौड़ा यह साइकिल ट्रैक दिन भर खाली रहता है। सुबह के समय कुछ लोग शौकिया साइकिल चलाते हैं, उसके बाद यहां या तो मवेशी बंधते हैं या गाड़ियां पार्क होती हैं। अन्य शहरों में साइकिल ट्रैक 2.5 मीटर चौड़ा ही बनाया गया है।
टू व्हीलर लेन बन सकती है
राजधानी में 70 फीसदी वाहन टू व्हीलर हैं और होशंगाबाद रोड पर बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए एक टू व्हीलर लेन की जरूरत महसूस की जा रही है। इस साइकिल ट्रैक को आधा करके भी टू व्हीलर लेन बनाई जा सकती है।