Manisha Dhanwani
20 Nov 2025
इंदौर – दिल्ली की सड़कों को दहला देने वाले बम धमाके की आग अब सीधे हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुँच चुकी है। जांच एजेंसियों ने जब इस यूनिवर्सिटी के नेटवर्क को खंगालना शुरू किया, तो सामने आए खुलासों ने खुफिया एजेंसियों तक की नींद उड़ा दी। यूनिवर्सिटी से जुड़े करीब 10 लोग अचानक रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए हैं, और इनके मोबाइल तक पिछले कई दिनों से बंद पड़े हैं।
जांच अधिकारियों का मानना है कि ये ‘गायब’ लोग किसी बड़े मॉड्यूल का हिस्सा हैं। वही मॉड्यूल जिसने राजधानी को खून-खौलाती दहशत में डुबो दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि फिदायीन हमलावर डॉक्टर उमर-उन-नबी, जिसने दिल्ली को बारूद से दहला दिया, अल-फलाह यूनिवर्सिटी से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ था। सूत्रों के अनुसार ग़ायब लोगों में कम से कम तीन कश्मीरी युवक भी शामिल हैं, जिनकी गतिविधियों को लेकर खुफिया एजेंसियां पहले से ही सतर्क थीं। ये सभी या तो यूनिवर्सिटी के छात्र थे, या फिर वहां किसी न किसी रूप में तैनात थे। क्लिनिकल स्टाफ, टेक्निकल असिस्टेंट, रिसर्च इंटर्न… पहचान अब जांच टीम एक-एक कर खंगाल रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीम ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ऑपरेशन चलाया। यूनिवर्सिटी के हॉस्टल, रिसर्च लैब्स, मेडिकल विंग और उससे जुड़े क्लीनिकों की बैक-टू-बैक तलाशी ली गई, लेकिन गायब लोगों का कोई निशान नहीं मिला। जांच अधिकारियों का कहना है। "ये लोग अचानक हवा में उड़ गए जैसी स्थिति है। मोबाइल फोन बंद, लोकेशन क्लोन की आशंका, और कई डिजिटल ट्रेल जानबूझकर मिटाए गए लग रहे हैं।" यह साफ संकेत है कि गायब होने की यह घटना कोई सामान्य फरारी नहीं बल्कि सुनियोजित प्लान है।
जैसे-जैसे जांच गहरी हुई, एजेंसियों को सबसे बड़ा झटका फंडिंग पैटर्न पकड़ने से मिला।
कई खातों में संदिग्ध रकम पाकिस्तान के डिजिटल पेमेंट ऐप SadaPay से आती हुई पाई गई है। यह लेन-देन सीधे-सीधे डॉक्टरों और यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ लोगों तक पहुंच रहा था। इसीलिए इसे आतंकी फंडिंग का “सबसे ठोस डिजिटल एविडेंस” माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है: