Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
नई दिल्ली। खानपान की चीजों एवं ईंधन की कीमतों में गिरावट के बीच थोक मुद्रास्फीति जुलाई में दो साल के निचले स्तर शून्य से नीचे 0.58 प्रतिशत पर आ गई है। गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के यह जानकारी दी गई है। विशेषज्ञों ने हालांकि अनुमान लगाया है कि अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगले दिनों में बढ़ सकती है क्योंकि आधार प्रभाव घटेगा और मौसमी मूल्य वृद्धि का सिलसिला जारी रहेगा। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीओई) आधारित मुद्रास्फीति जून में शून्य से नीचे 0.13 प्रतिशत और जुलाई, 2024 में 2.10 प्रतिशत रही थी। उद्योग मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, मूल धातुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में कमी के कारण थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही है।
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खानपान की चीजों की कीमतों में जुलाई में 6.29 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि जून में इनमें 3.75 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सब्जियों के दाम में भारी गिरावट देखी गई। जुलाई में इनकी कीमतों में 28.96 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि जून में यह 22.65 प्रतिशत घटी थी। विनिर्मित उत्पादों के मामले में मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 2.05 प्रतिशत रही, जबकि इससे पिछले महीने यह 1.97 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में जुलाई में यह 2.43 प्रतिशत रही जबकि जून में यह 2.65 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखकर मौद्रिक रुख तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने इस महीने की शुरूआत में नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में आठ साल के निचले स्तर 1.55 प्रतिशत पर आ गई।
बहुराष्ट्रीय बैंक एवं वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज ने शोध नोट' में कहा कि जुलाई में थोक मूल्य मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतों में नरमी रही। रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य क्षेत्र के कारण हुई है। खाद्य सामग्रियों की कीमतों में सालाना आधार पर बड़ी नरमी देखी गई। इसमें सब्जियों, दालों तथा अंडों, मांस व मछली की बड़ी भूमिका रही। अग्रवाल ने कहा कि हालांकि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में भारी बारिश के कारण जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं तथा इस पर नजर रखना भी महत्वपूर्ण होगा। बैंक आॅफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री सोनल बधान ने कहा कि रूसी तेल के आयातकों पर अमेरिकी प्रतिबंधों के संबंध में अनिश्चितता बनी हुई है तथा रूस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध विराम समझौते की स्थिति भी अनिश्चित है, इसलिए भविष्य में तेल की कीमतों में कुछ वृद्धि का दबाव देखने को मिल सकता है।