Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
भोपाल/छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बुधवार को छिंदवाड़ा में आदिवासी पहचान को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, हमें हिंदू बनाने की बात की जाती है, लेकिन आदिवासी अपनी संस्कृति और परंपराओं से अलग नहीं हो सकते। ये बात मैं कई सालों से कह रहा हूं। सिंघार के इस बयान पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। बीजेपी ने इसे कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति बताया और कड़ा पलटवार किया है।
उमंग सिंघार ने कहा कि शबरी ने राम को बेर खिलाए थे और शबरी भी आदिवासी थी। उन्होंने कहा, 'पेड़, पक्षी, नदियां हमारी पहचान हैं। यही आदिवासियों की असली पहचान है। गर्व से कहो हम आदिवासी हैं। आदिवासी न हिंदू हैं और न ही किसी अन्य धर्म के अनुयायी, वे प्रकृति पूजक हैं।' उन्होंने आदिवासी नेताओं से आह्वान किया कि वे केवल अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के उत्थान के लिए काम करें।
राजीव गांधी भवन में आयोजित मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद की बैठक में सिंघार ने कहा कि समाज को सामाजिक स्तर पर एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, 'चाहे नेता हों या अधिकारी, उनकी डोर हमें अपने हाथों में रखनी चाहिए। हम सबको मुट्ठी की तरह मिलकर काम करना होगा।' सिंघार ने भरोसा दिलाया कि आने वाले समय में योजनाबद्ध तरीके से आदिवासी समाज को संगठित किया जाएगा और उनकी जमीनों व झूठे प्रकरणों के मुद्दे विधानसभा में उठाए जाएंगे।
सिंघार के बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि उमंग सिंघार सोनिया गांधी को खुश करने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत का आदिवासी कभी क्रॉस नहीं लगाएगा। वह हमेशा सनातन और हिंदू संस्कृति के साथ है।
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने भी उमंग सिंघार के बयान पर हमला बोला। उन्होंने कहा, कांग्रेस की मानसिकता देश को तोड़ने वाली है। सनातन और हिंदुओं को अपमानित करना कांग्रेस की नीति रही है। उन्होंने कहा कि उमंग सिंघार की भाषा के पीछे सोनिया गांधी हैं। कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। इस तरह का षड्यंत्र देश में नहीं चलने दिया जाएगा।
सिंघार के इस बयान से प्रदेश की राजनीति में नई हलचल मच गई है। कांग्रेस इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़कर देख रही है, जबकि बीजेपी इसे सनातन धर्म पर हमला और कांग्रेस की फूट डालो राजनीति बता रही है। आने वाले समय में यह मुद्दा आदिवासी बहुल इलाकों में बड़ा सियासी विवाद खड़ा कर सकता है।
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