Mithilesh Yadav
3 Oct 2025
Mithilesh Yadav
3 Oct 2025
छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शिक्षक दंपत्ति ने सरकारी नौकरी खोने के डर से अपने नवजात बेटे को जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया। घटना अमरवाड़ा तहसील के नंदनवाड़ी-तहतोरी जंगल की है, जहां 24 सितंबर को जन्मे बच्चे को पुलिस ने ग्रामीण की मदद से बचाया। मामला उजागर होने के बाद दंपत्ति को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई है। अब शिक्षा विभाग ने भी जांच शुरू कर दी है।
पुलिस उप-विभागीय अधिकारी (SDOP) कल्याणी बरकड़े ने बताया कि एक बाइक सवार युवक जंगल से गुजर रहा था। तभी उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने तत्काल पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम मौके पर पहुंची और नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला। बच्चे को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज जारी है और हालत स्थिर बताई जा रही है।
आरोपी शिक्षक दंपत्ति।
पुलिस की जांच में पता चला कि बच्चा अमरवाड़ा तहसील के सिधौली प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक दंपत्ति का है। आरोपी दंपत्ति की पहचान बबलू डंडोलिया (38) और उसकी पत्नी राजकुमारी डंडोलिया (28) के रूप में हुई। पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि यह उनका चौथा बेटा है।
मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के अनुसार यदि किसी सरकारी कर्मचारी का तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद जन्म लेता है, तो वह नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है। इसी डर से दोनों ने नवजात को जंगल में छोड़ दिया।
बबलू और राजकुमारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर बुधवार को अदालत में पेश किया। हालांकि, अदालत से उन्हें बाद में जमानत मिल गई। इस घटना ने शिक्षा विभाग को भी सकते में डाल दिया है।
खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र वर्मा मामले की जांच कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया कि दंपत्ति की नियुक्ति से जुड़े सभी रिकॉर्ड मंगाए गए हैं और जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।