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भोपाल में ‘राज्य स्तरीय आम महोत्सव 8.0’ शुरू, नूरजहां से लेकर सुंदरजा, राजापुरी तक… दुर्लभ और GI टैग प्राप्त आमों की धूम

- भोपाल में 10 से 14 जून तक चलेगा आम महोत्सव, नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में आयोजित

भोपाल। राजधानी भोपाल के बिट्टन मार्केट स्थित नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में आज 10 जून, मंगलवार से ‘राज्य स्तरीय आम महोत्सव 8.0’ की शुरुआत हो गई है। यह आयोजन 14 जून तक चलेगा, जिसमें मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों से लाए गए प्राकृतिक, रसायनमुक्त और स्थानीय किस्मों के आमों की 15 से अधिक वैरायटी प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध कराई गई हैं।

इस महोत्सव का आयोजन नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना तथा आदिवासी किसानों को प्रत्यक्ष बाजार तक पहुंच दिलाना है।

नूरजहां आम बना विशेष आकर्षण

अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा से आए रूमेल बघेल ‘नूरजहां आम’ लेकर पहुंचे हैं। यह आम अत्यंत दुर्लभ है और अब कट्ठीवाड़ा में भी इसके गिनती के पेड़ ही बचे हैं। रूमेल ने बताया कि वह केवल 5 पीस नूरजहां आम लेकर आए हैं, जिनका वजन 1.5 किलो से 3 किलो तक है। इसकी कीमत 1800 रुपए किलो तक है। आकार और स्वाद दोनों में यह आम विशिष्ट है।

‘सुंदरजा आम’ स्वास्थ्यप्रेमियों की पहली पसंद, GI टैग प्राप्त फल

रीवा जिले के गोविंदगढ़ क्षेत्र से लाए गए GI टैगधारी सुंदरजा आम ने भी खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया है। इसे लेकर आए आशीष मिश्रा बताते हैं कि सुंदरजा आम की इस बार अच्छी पैदावार हुई है। इसकी कीमत 250 रुपए प्रति किलो रखी गई है, जबकि पिछले वर्ष यह 350 रुपए किलो तक बिका था। साथ ही ये आम पूरी तरह फाइबर-फ्री, शुगर कंटेंट कम, डायबिटीज मरीजों के लिए उपयुक्त होता है। विशिष्ट सुगंध और स्वाद, जो रीवा की जलवायु से बनता है।

राजापुरी आम : बड़ा आकार, मीठा स्वाद और लंबी शेल्फ लाइफ

राजापुरी आम, जिसे अलीराजपुर के किसान लेकर आए हैं, अपने विशाल आकार, रेशारहित गूदे और मिठास के कारण काफी लोकप्रिय हो रहा है। इस आम की शेल्फ लाइफ भी लंबी है, जिससे यह व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद बनता है।

खरीददारों की लिस्ट में ये वैरायटी टॉप पर

  • मल्लिका आम : नीलम और दशहरी का संयोजन, खट्टा-मीठा स्वाद
  • आम्रपाली आम : नीलम और मल्लिका की ग्राफ्टिंग, गूदा ज्यादा, स्वाद अलग
  • मालदा आम : गुठली छोटी, पल्प ज्यादा, स्वाद तीव्र और मीठा
  • अन्य किस्में भी उपलब्ध : दशहरी, लंगड़ा, केसर, चौसा, तोतापरी, नारंगी, सिंदूरी, राजापुरी सहित 15 से अधिक किस्मों के आम एक ही छत के नीचे खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं। हर आम की अपनी विशेषता और स्वाद है, जो आम प्रेमियों को लुभा रहा है।

सिर्फ स्वाद नहीं, आत्मनिर्भरता की ओर कदम भी है ये महोत्सव

इस आयोजन का उद्देश्य केवल आम की बिक्री नहीं, बल्कि आदिवासी किसानों को बाजार से जोड़ना, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना और रसायनमुक्त फल उत्पादन की ओर जागरूकता लाना है। नाबार्ड इस तरह के आयोजनों के माध्यम से ग्रामीण अंचलों की आर्थिक संरचना को सशक्त बनाने का काम कर रहा है।

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