Hemant Nagle
20 Dec 2025
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Naresh Bhagoria
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Naresh Bhagoria
19 Dec 2025
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प्रीति जैन- समर वैकेशन में पैरेंट्स अपने साथ बच्चों को भी स्पिरिचुअल एक्टिविटीज से जोड़ रहे हैं, ताकि दिन भर में कुछ घंटे बिना किसी व्यवधान के फुल फोकस के साथ बीतें। इसके लिए कोई संस्कृत लर्निंग क्लास तो कोई श्रीमद्भगवद्गीता की ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहा है। वहीं अब बुक स्टोर्स पर ऐसी बुक्स भी आ रहीं हैं, जिनके माध्यम से बच्चे रोचक ढंग से गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा व गीता के श्लोक सीख सकते हैं। कलरफुल इलेस्ट्रेशन के साथ हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में श्लोक लिखे होते हैं, ताकि बच्चे उनका अर्थ समझ सकें। वहीं भोपाल में संस्कृत भारती संगठन जून माह से संस्कृत कैंप भी शुरू करेगा, जिसमें बच्चे, किशोर व बड़े संस्कृत सीखकर भाषाई संस्कार हासिल करेंगे।
गीता परिवार द्वारा ऑनलाइन निशुल्क क्लासेस शुरू की जा रहीं हैं, जो कि 7 जून से शुरू होगी। इसमें वीक में पांच दिन 40 मिनट के सेशन होंगे जिसमें 13 भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता पठन-पाठन होगा। जूम पर यह क्लासेस लगेंगी। बच्चे ही नहीं बड़े भी इसे जॉइन कर सकते हैं। श्लोक व चालीसा पिक्टोरियल फॉर्मेट में : बच्चों के लिए पिक्टोरियल फॉर्मेट में हनुमान चालीसा की किताब आ रहीं हैं, जिसमें सुंदर चित्रों के साथ हिंदी, इंग्लिश व संस्कृत तीनों भाषा में विवरण रहता है। इसी तरह गणेश चालीसा व गणेशजी के श्लोक बच्चों के लिए पिक्चर फॉर्मेट में आ रहे हैं। इसके अलावा गायत्री मंत्र व उनके उच्चारण के लिए बुक्स के साथ ऑडियो भी आता है, ताकि बच्चों को यह रोचक लगे।
हम संस्कृत सिखाने के लिए रेसिडेंशियल प्रोग्राम चलाते हैं, ताकि 20 दिन तक सुबह-शाम संस्कृत बोलने का माहौल मिले। वहीं हम नॉन- रेसिडेंशियल प्रोग्राम भी चलाते हैं जो कि संभवत: जून में शुरू होगा। संस्कृत सीखने में बच्चे व बड़े सभी की रुचि बढ़ रही है। कई प्रशासनिक अधिकारी भी संस्कृत सीखने में रुचि दिखा रहे हैं तो इसलिए आगामी कार्यक्रम तैयार करेंगे। - पवन कुमार द्विवेदी, प्रांत प्रचार प्रमुख, संस्कृत भारती
हम बच्चों को भाषाई संस्कार देने का प्रयास कर रहे हैं। बच्चों को कविता- कहानी पाठ करना और महापुरुषों की जीवनियों को पढ़ने की आदत डालते हैं। बच्चों को भारतीय दर्शन व संस्कृति से अवगत कराते हैं। संस्कृत में पठन-पाठन का प्रशिक्षण देते हैं, ताकि वे श्लोकों का सही उच्चारण व अभ्यास कर सकें। - महेश सक्सेना, निदेशक, बाल साहित्य एवं शोध केंद्र
मैं अपनी बेटी को गुरबाणी का पाठ कराती हूं, ताकि वो अपने रिलीजन को समझे। उसके लिए कुछ बुक्स भी लेकर आती हूं, जिससे वो अपने कल्चर को समझे और दूसरे धर्मों के बारे में भी जान सके। उसे अपने साथ गुरुद्वारा व मंदिर लेकर जाती हूं। आज के समय में मानसिक शांति के लिए स्पिरिचुअल होना जरूरी है। - ज्योति बक्शी, अभिभावक