Peoples Reporter
27 Oct 2025
Shivani Gupta
27 Oct 2025
Priyanshi Soni
27 Oct 2025
Mithilesh Yadav
27 Oct 2025
Priyanshi Soni
27 Oct 2025
अशोक गौतम-भोपाल। मध्य प्रदेश के गठन यानि वर्ष 1956 के बाद राज्य में पहली बार सलई के पौधे तैयार करने में वन विभाग को सफलता मिली है। ये पौधे श्योपुर की नर्सरी में करीब ढाई लाख की संख्या में तैयार किए गए हैं। इन्हें अगले वर्ष श्योपुर, बुरहानपुर और खंडवा के जंगलों में रोपा जाएगा। यह पौधा गर्मी के मौसम और पहाड़ी क्षेत्रों में होता है।
सलई के पौधे गर्म जलवायु में भी हमेशा हरे-भरे रहते हैं। प्रदेश में सलई के जंगल घटते गए तो वन अमला कई सालों तक इसका बीजारोपण करता रहा। लेकिन पौधे नहीं उगे तो नर्सरी में तीन वर्ष पहले एक निश्चित तापमान में बीजों को गीलाकर कुछ समय तक रखा गया, फिर बीज अंकुरित हुए।
बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठानों में सलई की लकड़ी और गोंद का प्रयोग होता है। अगरबत्ती बनाने वाले उद्योगों में इसकी मांग ज्यादा है। सहरिया और भारिया जनजातियों की शादी में इसका गोंद दहेज में दिया जाता है।
सलई के पौधे सामान्य तौर पर सेंट्रल इंडिया में होते हैं। देश में पहली बार इसके पौधे मप्र में तैयार किए गए हैं। वर्षों के प्रयास के बाद श्योपुर नर्सरी में इसके के पौधे तैयार किए गए हैं। इन्हें अगले वर्ष श्योपुर सहित अन्य क्षेत्रों में रोपा जाएगा। - पीके सिंह, पीसीसीएफ, आरएनडी