Manisha Dhanwani
2 Dec 2025
Shivani Gupta
1 Dec 2025
पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे में RSS के 100 साल पूरे होने के कार्यक्रम में कहा कि, आज दुनिया के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात ध्यान से सुनते हैं। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि भारत की शक्ति वैश्विक मंच पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है और देश अपना उचित स्थान हासिल कर रहा है।
भागवत ने सुझाव दिया कि, संगठनों को केवल वर्षगांठ या शताब्दी मनाने की बजाय निर्धारित समय में अपने कार्य पूरे करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ ने 100 साल पूरे कर लिए हैं, कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन यह सोचना चाहिए कि पूरे समाज को एकजुट करने में इतना समय क्यों लगा।
भागवत ने कहा कि, संघ का मूल उद्देश्य केवल संगठन खड़ा करना नहीं, बल्कि समाज में शक्ति, संवाद और सामूहिक जीवन की भावना को मजबूत करना है। उन्होंने बताया कि, शक्ति का अर्थ दंड या दबाव से नहीं, बल्कि अनुशासन, सेवा और संगठन से बनता है।
उन्होंने कहा कि, संघ संवाद, सामूहिकता और विविधता में एकता की बात करता है। हमारी जड़ें विविधता में एकता में हैं। हमें साथ चलना है और इसके लिए धर्म आवश्यक है। भारत में सभी एक ही स्रोत से निकले हैं। इसलिए तालमेल और सद्भाव के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा आरएसएस की स्थापना हुई। भागवत ने बताया कि, शुरुआत में संघ का काम बहुत कठिन हालात में शुरू हुआ था और कोई नहीं जानता था कि मेहनत सफल होगी या नहीं।
उन्होंने कहा कि, संघ के स्वयंसेवकों ने लगातार मेहनत, त्याग और समर्पण से सफलता की नींव रखी। किसी ने मुझसे कहा कि संघ 30 साल देर से आया। मैंने जवाब दिया कि संघ देर से नहीं आया, आप लोग देर से सुनने लगे।
भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना जरूरी नहीं- भागवत ने कहा कि, भारत और हिंदू एक हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की आवश्यकता नहीं, हमारी सभ्यता पहले से इसे जाहिर करती है।
पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे, आज डंका बज रहा है- उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में संघ और डॉ. हेडगेवार पर उपहास होता था, लेकिन उन्होंने राष्ट्र निर्माण के मिशन को आगे बढ़ाया।
निर्भरता मजबूरी न बने- पहलगाम हमले से सीख लेकर भागवत ने कहा कि सुरक्षा के प्रति सजग और समर्थ होना आवश्यक है।
ताकतवर होने के अलावा कोई विकल्प नहीं- उन्होंने हिंदू समाज से एक होने और भारतीय सेना को मजबूत बनाने की अपील की।
1925: नागपुर में RSS की स्थापना ।
1926: शाखा प्रणाली शुरू।
1930: हेडगेवार गांधीजी के आंदोलन में शामिल होकर जेल गए।
1931: पहली बार खाकी ड्रेस और टोपी तय।
1939: हेडगेवार का निधन, माधवराव गोलवलकर नए सरसंघचालक बने।
1947: स्वतंत्रता के बाद संघ का विस्तार।
1948-1949: गांधी हत्या के बाद प्रतिबंध और बैन हटना।
1951: जनसंघ की स्थापना।
1980: BJP का निर्माण।
2014: नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर संघ का प्रभाव बढ़ा।
2025: 100 साल पूरे, 39 देशों में शाखाएं।
आज RSS दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। इसमें लाखों स्वयंसेवक, 56 हजार से अधिक शाखाएं और 55 अनुशांगिक संगठन शामिल हैं। जैसे सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संघ।
भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ का काम किसी का विरोध नहीं, बल्कि समाज को संगठित करना है। उन्होंने कहा, जब समाज खड़ा होता है, तब राष्ट्र शक्तिशाली होता है और तभी दुनिया में शांति आती है। उन्होंने आगे कहा कि, क्रोध, द्वेष और नकारात्मक भाव से मुक्त चरित्र ही भारत को वैश्विक कल्याण की दिशा में आगे ले जाएगा। संघ का संदेश शक्ति, सेवा और समाज के कल्याण पर आधारित है।