Naresh Bhagoria
13 Nov 2025
अशोक गौतम, भोपाल। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सीमेंट और सरिया आदि पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया। इससे निर्माण कार्यों की लागत में कमी होने से लोगों को कुछ राहत मिली है। इधर, प्रदेश सरकार रेत खदानों के ऑक्शन के बेस प्राइज की दरों में हर साल 10 प्रतिशत बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। रेत खदानों की दरें बढ़ने और महंगे ठेके लेने पर ठेकेदार महंगे दामों पर रेत बेचेंगे। इससे घर बनाना महंगा हो जाएगा। यह व्यवस्था नए वर्ष से लागू करने की तैयारी है। मप्र में वर्तमान में करीब 800 रेत खदानें संचालित हैं। कई ठेकेदार महंगे दामों में खदानें लेने के कुछ दिन बाद सरेंडर कर देते हैं। इसके बाद दोबारा पिछली बार से कम दामों पर उसी रेत खदान का ठेका ले लेते हैं। इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। तीन साल में इस तरह से करीब एक दर्जन से अधिक रेत खदानें ठेकेदारों सरेंडर कर चुके हैं।
खनिज विभाग ने शहडोल के रेत खदान समूह का आधार मूल्य 44 करोड़ रुपए रखा था। शहकार ग्लोबस कंपनी ने इस समूह की 69 करोड़ की बोली लगाकर खदान ले ली। इसके बाद 3 माह का नोटिस देकर उसने खदान सरेंडर कर दी। विभाग ने इसे उसी अधार मूल्य पर इस वर्ष दोबारा नीलाम किया, तो उसी कंपनी ने 48 करोड़ रुपए यानी पहले की तुलना में 21 करोड़ रुपए कम में खदान ली। इस तरह सरकार को नुकसान उठाना पड़ा।
खनिज विभाग ने इस रेत खदान समूह का आधार मूल्य 50 करोड़ रुपए रखा था। धन लक्ष्मी कंपनी ने समूह की 64 करोड़ की बोली लगाकर खदान ले ली। इसके बाद कुछ माह का नोटिस देकर खदान सरेंडर कर दी। विभाग ने इसे उसी अधार मूल्य पर इस वर्ष दोबारा नीलाम किया, तो उसी कंपनी ने 54 करोड़ में खदान ली। यानी पहले की तुलना में सरकार को 10 करोड़ रुपए कम मिले।
प्रदेश के आठ जिलों से दूसरे जिलों में रेत की आपूर्ति होती, क्योंकि इन जिलों में रेत खदानें नहीं हैं। इनमें रीवा, सतना, नीमच, निवाड़ी, झाबुआ, खंडवा, इंदौर सागर जिला शामिल है। वहीं मुरैना और श्योपुर जिले में रेत निकालने के संबंध में केंद्र और राज्य सरकार के बीच पत्राचार चल रहा है।
नदियों से रेत निकालने को लेकर सिया, एनजीटी सहित तमाम संस्थाओं के नियम-कायदे हैं। इसके चलते सरकार, नदियों के किनारे से ही रेत निकालने की अनुमति देती है। विकास कार्यों और शहर के विस्तार के चलते प्रदेश में रेत की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसके साथ सरकार को राजस्व भी चाहिए, इसलिए वह रेत की बेस प्राइज हर साल 10 प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
माइनिंग कॉर्पोरेशन के पूर्व एमडी वरदमूर्ति मिश्र कहते हैं कि रेत खदानों के बेस प्राइज हर साल 10 प्रतिशत बढ़ाने की मुख्य वजह राजस्व बढ़ाना है। यह दरें बढ़ेंगी तो रेत के दाम बढ़ना तय हैं। ठेकेदार अपनी जेब से पैसे नहीं लगाएगा। पिछले दो-तीन सालों में विकास कार्य ज्यादा स्वीकृत हुए हैं, इसलिए रेत की डिमांड ज्यादा है। राजधानी भोपाल के बिल्डर मुकेश यादव कहते हैं कि एक हजार स्क्वायर फीट में मकान बनाने पर कम से कम 16 लाख रुपए खर्च आता है। इसमें 1800 फीट रेत की जरूरत होती है। एक ट्रक रेत (900 फीट) की कीमत वर्तमान में 4700 रुपए है। दस प्रतिशत रेत के दाम बढ़ने पर एक लाख रुपए के करीब मकान की कीमत और बढ़ जाएगी।