Priyanshi Soni
22 Oct 2025
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में जापान और चीन की अहम विदेश यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा रणनीतिक, कूटनीतिक और क्षेत्रीय सहयोग की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 30 अगस्त को पीएम मोदी जापान जाएंगे, जहां वे जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का जापान दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूती देने पर केंद्रित होगा। टोक्यो में आयोजित होने वाली इस वार्षिक बैठक में टेक्नोलॉजी, निवेश, रक्षा सहयोग, इंडो-पैसिफिक नीति और आपसी व्यापार जैसे विषयों पर चर्चा होने की संभावना है।
भारत और जापान लंबे समय से क्वाड (QUAD) के भी सदस्य हैं और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच उच्च गति रेल परियोजना समेत कई साझा विकासात्मक परियोजनाएं चल रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह 2020 की गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प के बाद उनकी पहली यात्रा होगी। मोदी इससे पहले 2018 में चीन गए थे, और अब यह उनकी छठी चीन यात्रा होगी।
इस दौरान पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेंगे, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, व्यापार और संपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
इस दौरे से पहले भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में चीन का दौरा किया था, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस दौरान LAC पर तनाव कम करने, जल संसाधन डेटा साझा करने, व्यापारिक प्रतिबंधों को हटाने और आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाने पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जयशंकर की यह मुलाकात पीएम मोदी के चीन दौरे के लिए भूमि तैयार करने वाली कूटनीतिक पहल मानी जा रही है।
SCO बैठक में चीन के साथ-साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी हिस्सा लेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस मंच का इस्तेमाल सीमा विवाद, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कैसे करता है। भारत SCO के माध्यम से मध्य एशियाई देशों से भी संपर्क बढ़ाना चाहता है, जो ऊर्जा सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम माने जाते हैं।