नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 21 जुलाई से शुरू हुआ यह सत्र लगातार हंगामे और विपक्ष के विरोध के कारण सुचारू रूप से नहीं चल पाया। हालांकि इस दौरान लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 14 विधेयक पास किए, लेकिन नियोजित व्यवधान और नारेबाजी के कारण अधिकांश समय बर्बाद हो गया।
लोकसभा में सिर्फ 37 घंटे चर्चा
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र में कुल 120 घंटे चर्चा का समय तय किया गया था, लेकिन केवल 37 घंटे ही चर्चा हो सकी।
- लोकसभा में 14 विधेयक पेश हुए और 12 पारित किए गए।
- 28 और 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई, जिसका समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के साथ हुआ।
- 419 प्रश्न सूचीबद्ध थे, लेकिन केवल 55 प्रश्नों के ही मौखिक उत्तर दिए जा सके।
राज्यसभा में भी बाधित रही कार्यवाही
राज्यसभा के पहले दिन ही बिल ऑफ लैडिंग बिल, 2025 बिना किसी व्यवधान के पास हुआ, लेकिन इसके बाद अधिकतर विधेयक हंगामे और विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच ही पारित किए गए।
- विपक्ष लगातार बिहार SIR पर चर्चा की मांग करता रहा।
- गुवाहाटी में देश का 22वां भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) बनाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित हुआ।
- इसके अलावा लोकसभा में ऑनलाइन मनी गेम्स पर बैन लगाने वाला ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल, 2025 भी पास हुआ।
विपक्ष का हंगामा और गतिरोध
- सत्र के दौरान कई मौकों पर विपक्षी सांसदों ने सरकार का विरोध किया।
- गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों की कॉपी विपक्षी सांसदों ने फाड़कर सदन में फेंक दी।
- वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
- तख्तियां और नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
पीएम मोदी भी पहुंचे सदन
मानसून सत्र के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा में मौजूद रहे। एनडीए सांसदों ने उनका स्वागत करतल ध्वनि से किया। इसके बाद स्पीकर ने सदन में पूरे सत्र का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
स्पीकर ओम बिरला की नाराजगी
- स्पीकर ने सत्र की कार्यवाही का ब्यौरा देते हुए विपक्ष और सांसदों के आचरण पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा—
- “जनता हमें बहुत उम्मीदों के साथ चुनकर भेजती है ताकि व्यापक और गरिमामय चर्चा हो सके।”
- “नारेबाजी, तख्तियां लाना और नियोजित गतिरोध हमारी संसदीय परंपरा नहीं है।”
- “सदन के अंदर और परिसर में भी भाषा मर्यादित होनी चाहिए।”
उन्होंने सभी दलों से आह्वान किया कि वे मंथन करें और भविष्य में संसद की गरिमा बनाए रखें।