Priyanshi Soni
4 Nov 2025
रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर सीधे ट्रंप प्रशासन से बात कर रहे हैं। कोशिश यह है कि अमेरिका को पाकिस्तान में रेयर अर्थ (दुर्लभ खनिज) और तेल की खुदाई के लिए तैयार किया जाए। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता स्थानीय जनता के गुस्से को भड़का सकता है और अमेरिका को भी घरेलू संघर्ष में फंसा सकता है।
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप को भरोसा दिलाया गया है कि पाकिस्तान खनिज और तेल का बड़ा स्रोत हो सकता है। लेकिन यह जानकारी छिपा ली गई कि बलूचिस्तान, वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाके बेहद खतरनाक और मुश्किल हैं। यहां खुदाई करना लगभग नामुमकिन है। यहां तक कि चीन भी कई बार नाकाम रहा है।
भू-राजनीतिक विशेषज्ञ सर्जियो रेस्टेली का कहना है कि अगर ट्रंप इस राह पर आगे बढ़े, तो अमेरिका फिर उन्हीं इलाकों में लौटेगा जिन्हें जो बाइडन ने दोहा समझौते के बाद छोड़ दिया था। अन्य विश्लेषकों ने भी कहा कि बलूचिस्तान लंबे समय से जातीय और राजनीतिक अशांति का केंद्र रहा है। बाहरी ताकतों द्वारा संसाधनों के शोषण से यहां हालात और बिगड़ते हैं।
चीन पहले से ही CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर) के जरिए स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ा चुका है। अगर अब अमेरिका भी खनन में शामिल हुआ, तो विरोध और ज्यादा बढ़ सकता है।
रेस्टेली के मुताबिक, पाकिस्तान में 18वां संशोधन हुए 15 साल हो गए, लेकिन प्रांतों को अपने संसाधनों पर असली अधिकार नहीं मिला। खैबर पख्तूनख्वा में संगमरमर, ग्रेनाइट, रत्न, क्रोमाइट और कॉपर की भरमार है, फिर भी इलाका गरीब है। बलूचिस्तान में कॉपर, सोना, कोयला और रेयर अर्थ जैसे खनिज भरे पड़े हैं, लेकिन यह पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा प्रांत है। कारण यह है कि सारा मुनाफा केंद्र के पास जाता है और शिक्षा, स्वास्थ्य या स्थानीय ढांचे पर खर्च नहीं होता।
ट्रंप प्रशासन ने रेयर मिनरल्स को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया है और चीन पर निर्भरता घटाने के लिए पाकिस्तान पर नजर रखी जा रही है। इस्लामाबाद भी विदेशी मुद्रा के लिए उत्सुक है। लेकिन अब तक हुआ यही है कि सौदे केंद्र और सेना तय करते हैं और जनता पर थोपे जाते हैं।
रेको डिक और सैंडक जैसे प्रोजेक्ट अरबों डॉलर लेकर आए, लेकिन स्थानीय लोगों को मिला सिर्फ बेघर होना, प्रदूषण और अशांति।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रोजेक्ट से विकास नहीं बल्कि दमन होगा। गांवों को घेराबंदी में बदला जाएगा, विरोध करने वालों पर कार्रवाई होगी, रॉयल्टी रोकी जाएगी, सेना को सुरक्षा के नाम पर तैनात किया जाएगा