Naresh Bhagoria
19 Nov 2025
जबलपुर। प्रदेश में काम कर रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इलेक्शन ड्यूटी का काम करना ही होगा। प्रदेश सरकार द्वारा सौंपी गई इस अतिरिक्त जिम्मेदारी के खिलाफ दायर अपील मप्र हाईकोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। हाईकोर्ट के इस फैसले का असर प्रदेश की दस हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि सभी विभाग के कर्मचारी यदि मना कर देंगे तो फिर इलेक्शन ड्यूटी की जिम्मेदारी कौन निभाएगा। चूंकि सरकार को चुनाव कराना है तो वह अपने कर्मचारियों को ही जिम्मेदारी सौंपेगी, क्योंकि वे उसके ही सिस्टम के हिस्से हैं।
यह अपील आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शासकीय एकता यूनियन भोपाल की ओर से दाखिल की गई थी। अपील में कहा गया था कि सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा जारी दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आईसीडीएस सेवाओं के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से दूसरे कोई काम न लिए जाएं। इसके बावजूद, उन्हें जबरदस्ती बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की जिम्मेदारी सौंपी जा रही, जो अवैधानिक है। अपील में कहा गया था कि बीएलओ की जिम्मेदारी से इंकार करने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वेतन न देने की चेतावनी भी दे दी गई। इसके खिलाफ दाखिल रिट याचिका पर सिंगल बेंच से राहत न मिलने पर यह अपील दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन ने पक्ष रखा।
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने मामले पर तल्ख टिप्पणियां कीं। सीजे ने कहा- प्रदेश में दस हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। यदि सभी को शोकॉज नोटिस दिया जाता, तो बात समझ में आती है। अभी 10 हजार में से सिर्फ 100 कार्यकर्ताओं को शोकॉज नोटिस दिए गए, जो जस्टिफाइड है। जिन्हें नोटिस मिले हैं, वो जवाब देकर बताएं कि सरकार द्वारा दी गई जिम्मेदारी के बाद उन्होंने कितने घंटे काम किए हैं।