Mithilesh Yadav
19 Oct 2025
छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी की जांच में सामने आया है कि कफ सिरप की कभी लैब टेस्टिंग ही नहीं की गई थी। यानी बिना किसी गुणवत्ता जांच के यह सिरप सीधे बाजार में उतारा गया और मरीजों को पिलाया गया। यह खुलासा तब हुआ जब एसआईटी ने श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी से पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने माहेश्वरी और फैक्ट्री के मालिक रंगनाथन को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की। शनिवार को तीन दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद माहेश्वरी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, माहेश्वरी ने पूछताछ में माना कि कंपनी में लैब टेस्टिंग की पर्याप्त सुविधा नहीं थी। केवल कुछ दवाओं की ही औपचारिक जांच होती थी, जबकि कोल्ड्रिफ कफ सिरप को बिना किसी परीक्षण के सीधे बाजार में उतार दिया गया। इसके साथ ही, यह भी सामने आया कि ड्रग डिपार्टमेंट की ओर से कंपनी की नियमित जांच नहीं की गई थी। बता दें कि आरोपी माहेश्वरी इस पद पर लगभग 18 वर्षों से कार्यरत हैं और पिछले चार सालों से श्रीसन फार्मा में पदस्थ थीं।
इसी मामले में एसआईटी ने फैक्ट्री के मालिक रंगनाथन से भी पूछताछ की। जांच टीम कुछ दिन पहले उसे तमिलनाडु लेकर गई थी, जहां से दस्तावेज और अन्य साक्ष्य जुटाए गए। शुक्रवार शाम को टीम वापस लौटी और उसी रात रंगनाथन और माहेश्वरी को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई।
शनिवार को के. माहेश्वरी की तीन दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया। जहां कोर्ट के आदेश पर उसे जिला जेल भेज दिया गया। वहीं, फैक्ट्री मालिक रंगनाथन की पुलिस रिमांड 20 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
बता दें, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीली कफ सिरप पीने से 22 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद पुलिस ने सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मा कंपनी की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी को हिरासत में लेकर तीन दिन की रिमांड पर पूछताछ की थी।