Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
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22 Nov 2025
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जबलपुर। मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों को बंधक बनाकर रखने और उनकी मौतों को लेकर रायपुर के नितिन सिंघवी ने याचिका दायर की थी। अब मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के एडिशनल Principal Chief Conservator of Forests (PCCF) वाइल्ड लाईफ को 26 अगस्त को अदालत में बुलाया है।
रायपुर के नितिन सिंघवी ने याचिका में हाईकोर्ट को बताया था कि मध्य प्रदेश के जंगलों में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के जंगली हाथियों के झुंड आते हैं। भोजन की तलाश में वे फसलों को बर्बाद करते हैं, घरों को नुकसान पहुंचाते हैं और कई बार लोगों पर हमला करते हैं, जिससे कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है। लेकिन वन विभाग समस्या का समाधान करने की बजाय जंगली हाथियों को बंधक बनाकर टाइगर रिजर्व के ट्रेनिंग कैंप्स में रख लेता है जहां हाथियों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
याचिका में यह भी बताया गया था कि बीते 7 सालों में 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया था। जिसमें से 2 हाथियों की मौत हो गई और 8 हाथी अलग अलग टाइगर रिजर्व के हाथी प्रशिक्षण केन्द्र में बंद हैं। वहां पर हाथियों को कैद कर रखना गलत है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
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याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और वन विभाग से पूछा था कि आखिर किस आदेश के चलते जंगली हाथियों को पकड़कर ट्रेनिंग कैंप्स में रखा गया है। जिस पर राज्य सरकार और वन विभाग ने कहा था कि वो जंगली हाथियों की ट्रैकिंग के लिए उन्हें कॉलर आईडी लगवा रहै है, जिसके बाद बंद जंगली हाथियों को जंगलों में सुरक्षित छोड़ दिया जाएगा।
इसी को लेकर कोर्ट ने प्रदेश के एडिशनल PCCF को 26 अगस्त को बुलाया है और उन्हें जंगली हाथियों को रिहा किए जाने पर स्टेटस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।