इंदौरमध्य प्रदेश

इंदौर : कुख्यात भूमाफिया दीपक जैन पर एक और FIR, 5 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला

इंदौर। मध्य प्रदेश पुलिस की इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम ने सोमवार को कुख्यात भूमाफिया दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसोदिया उर्फ दीपक मद्दा के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया है। दीपक जैन पर कल्पतरू गृह निर्माण सोसाइटी मामले में प्रकरण दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक, मामला पांच करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़ा है। दीपक जैन सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

मथुरा से हुई थी दीपक मद्दा की गिरफ्तारी

मामले की जानकारी देते डीसीपी क्राइम निमिष अग्रवाल।

एक मार्च को फरार भूमाफिया दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसोदिया उर्फ दीपक मद्दा को इंदौर क्राइम ब्रांच ने मथुरा के वृंदावन से गिरफ्तार किया था। जहां दीपक को इंदौर लाकर पुलिस ने जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया था। दीपक पर आरोप है कि उसने रासुका हटाने के लिए अपर मुख्य सचिव के फर्जी हस्ताक्षर का पत्र बनवाया था, जिससे वह रासुका के लिए जमानत चाहता था लेकिन पुलिस द्वारा दीपक को गिरफ्तार कर लिया गया था।

दीपक मद्दा द्वारा हिना पैलेस पुष्प विहार से लेकर अयोध्या पुरी कॉलोनी में जमीन की हेराफेरी के मामले में यह मुख्य आरोपी था। जनवरी 2021 के दौरान चले भू-माफिया अभियान के तहत सरकार द्वारा मद्दा के पास से कई जमीनों की हेराफेरी के मामले में केस दर्ज थे। जहां दीपक मध्य लंबे समय से फरार था। कुछ दिन पहले रासुका मामले में दीपक मतदा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जहां से दीपक को जमानत मिल गई थी। वहीं सोमवार सुबह इंदौर के खजराना थाना क्षेत्र में एक बार फिर दीपक मद्दा पर FIR दर्ज की गई है।

साल 2009 में सामने आया मामला

वर्ष 2009 में जब गृह निर्माण संस्थाओं द्वारा फर्जीवाड़ा माफियाओं के खिलाफ इंदौर सहित प्रदेश में कार्रवाई शुरू हुई। उस समय दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा फरार हो गया। इंदौर में जब सोसाइटीयों के फर्जीवाड़े निकाले गए तो उसमें इंदौर के हरियाणा, देवी अहिल्या, कष्ट निवारण श्री राम, जय हिंद पुष्प, विहार नागौरी से लेकर तमाम गृह निर्माण संस्थाओं में दीपक जैन मुख्य सरगना निकला।

दीपक जैन के खिलाफ कई मामले दर्ज

खजराना एसीपी जयंत राठौर ने बताया कि दीपक जैन पर पिछले वर्ष 8 दिसंबर को धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था। वहीं दीपक पर 9 अन्य मामले भी दर्ज हैं, जिसके बाद इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा रासुका की कार्रवाई कर दी गई थी। इसमें से 2 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत भी मिल गई और 2 मामले में जिला कोर्ट ने जमानत दे दी।

जबकि, 3 मामले में हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक गिरफ्तारी रोक दी। इसके बाद आरोपी द्वारा कूट रचना तरीके से अपर सचिव का फर्जी पत्र बनाया और दावा किया कि सभी मामलों में जमानत मिल गई। जिससे कि राजू का वारंट स्वत: ही समाप्त हो जाता है, लेकिन यह पत्र फर्जी तरीके से बनाया गया था। जिसकी पुलिस को सूचना मिली और पुलिस ने फिर से आरोपी के खिलाफ धरपकड़ शुरू की।

लूटी जमीन दान देकर बना समाजसेवी

दीपक मदान उर्फ दीपक जैन इतना शातिर था कि लूट की जमीन को दान में देकर फर्जी समाजसेवी भी बनने की कोशिश करता रहा। दीपक ने अपनी पत्नी समता जैन के साथ मोहनखेड़ा में जैन संत ऋषभ विजय महाराज को लगभग 30 हजार स्क्वायर फीट जमीन दान दे दी थी। दीपक ने अवैध तरीके से यह जमीन संस्था से हड़प कर दान की और समाजसेवियों में अपना नाम दर्ज करवा लिया। पुलिस को जब जमीन की जानकारी लगी तो इस जमीन की कीमत 20 करोड़ के लगभग की निकली थी। जिसके बाद पुलिस ने दीपक का नाम भू-माफियाओं में शामिल किया था। दीपक ने कई जमीन अपनी पत्नी के नाम क्षमता कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म से ट्रांसफर की थीं। पुलिस जांच में वे सभी अवैध पाई गईं।

फरारी के दौरान धर्मशाला में रहता था आरोपी

आरोपी फरारी के दौरान चित्तौड़ की धर्मशाला में रहता था। इसके बाद वह दिल्ली और कई जगह घूमता रहा। फरारी के दौरान वह कई बार इंदौर भी आया और इंदौर के कई वकीलों से भी संपर्क में था। आरोपी दीपक का मानना था कि मामला ठंडा होते ही वह भोपाल जाएगा और जमानत की जुगाड़ लगा लेगा, लेकिन क्राइम ब्रांच द्वारा लगातार दीपक की तलाश की जा रही थी, जिसे गुरुवार सुबह इंदौर लेकर लाया गया और सीधे जेल भेज दिया गया।

फर्जी हस्ताक्षर कर पुलिस को किया गुमराह

भूमाफिया अभियान के तहत फरवरी 2021 में प्रशासन ने उस पर 6 प्रकरण दर्ज करवाए थे और फिर उसपर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाया गया था। ज्यादातर मामलों में उसने कोर्ट से जमानत और गिरफ्तारी पर स्टे ले रखा था। रासुका के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया है।

बता दें कि, खजराना थाने में गृह विभाग के एससीएस डॉ. राजेश राजौरा के फर्जी हस्ताक्षर से उसने एक पत्र सौंपा था। उसमें लिखा था कि रासुका निरस्त की जाती है। इंदौर पुलिस ने जब गृह विभाग से पत्र क्रमांक 3525/825/2022 की जानकारी मांगी तो पता चला कि ऐसा कोई पत्र जारी ही नहीं हुआ। इसके बाद इंदौर की खजराना पुलिस ने उस पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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