ताजा खबरराष्ट्रीय

जैव विविधता में गिरावट की मुख्य वजह बन सकता है क्लाइमेट चेंज

दुनिया भर में आ सकती है दो से 11 प्रतिशत तक की गिरावट : अध्ययन

नई दिल्ली। सदी के मध्य तक क्लाइमेट चेंज जैव विविधता में गिरावट का मुख्य कारण बन सकता है। भूमि-उपयोग के तौर- तरीकों में बदलाव और जैव विविधता पर उनके प्रभावों का अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं के अंतर्राष्ट्रीय दल ने पाया कि दुनिया भर में जैव विविधता में दो से 11 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च के अनुसंधान समूह प्रमुख और साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुख्य लेखक हेनरिक परेरा ने कहा, अपने प्रारूप में सभी विश्व क्षेत्रों को शामिल किया जो पूर्व में इस दायरे से बाहर थे तथा खंडित एवं संभावित पक्षपाती आंकड़ों के साथ काम करने वाले अन्य दृष्टिकोणों की आलोचना को दुरुस्त किया।

भविष्य में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र कैसे विकसित हो सकते हैं, इसकी जांच करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि भूमि उपयोग परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव से उत्सर्जन परिदृश्य से इतर सभी वैश्विक क्षेत्रों में जैव विविधता का नुकसान होता है।

जैव-ऊर्जा परिनियोजन अब भी अधिकांश जलवायु परिदृश्यों का महत्वपूर्ण तत्व है

अध्ययन के सह-लेखक व ऑस्ट्रिया के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम एनालिसिस (आईआईएएसए) के शोधकर्ता डेविड लेक्लेर ने समझाया, हमने पाया कि जलवायु परिवर्तन जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए एक आसन्न खतरा पैदा करता है। भूमि-उपयोग परिवर्तन ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण कारक रहा है, हमारे निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन सदी के मध्य तक जैव विविधता के नुकसान के प्राथमिक कारक के रूप में इससे आगे निकल सकता है।

शोधकर्ताओं ने आने वाले दशकों में नीतियों के बीच टकराव को कम करने और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थिरता पहलुओं पर विचार करते हुए वास्तव में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। अध्ययन के सह- लेखक जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन कार्यक्रम निदेशक पेट्र हैवलिक ने कहा, उदाहरण के लिए, जैव-ऊर्जा परिनियोजन अब भी अधिकांश जलवायु स्थिरीकरण परिदृश्यों का एक महत्वपूर्ण तत्व है, यह प्रजातियों के आवासों के लिए भी खतरा पैदा करता है।

संबंधित खबरें...

Back to top button