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सामान्य बच्चों के साथ पढ़कर मूक-बधिर लाए उनसे बेहतर रिजल्ट

इंदौर में सामान्य क्लास में पढ़ रहे डेफ एंड डंब बच्चे, मुख्य टीचर पढ़ाता है तो दूसरा उसे साइन लैंग्वेज में समझाता है

प्रभा उपाध्याय-इंदौर। शिक्षा के क्षेत्र में इंदौर में अनूठा प्रयोग किया गया है। यहां मूक बधिर बच्चे भी सामान्य बच्चों के साथ एक ही क्लास में बैठकर पढ़ते हैं। इस प्रयोग को करने वाला इंदौर प्रदेश का पहला संभाग है। एक ही क्लास में बैठने से सामान्य बच्चे मूक बधिर बच्चों की साइन लेंग्वेज भी समझने लगे हैं। हाल ही में आए परीक्षा परिणामों में कक्षा एक से लेकर कक्षा 12वीं तक के मूक बधिर बच्चों ने सामान्य बच्चों को पीछे कर अच्छे परिणाम दिए हैं। हर क्लास में इनका रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा है।

इस क्लास को हकीकत में बदलने वाले आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि संस्था द्वारा इंदौर, धार और आलीराजपुर में समावेशी शिक्षा का प्रयोग किया गया है। जिसके चलते 12वीं में दिव्यांग आदित्य हुमेन में इस श्रेणी में मैरिट में पहला स्थान प्राप्त किया है। क्लास में बच्चों के लिए एक ही शिक्षक रहता, लेकिन मूक बधिर बच्चों को ट्रांसलेट करने के लिए एक शिक्षक और होता है।

ऑस्ट्रेलिया से मिली प्रेरणा

पुरोहित ने बताया कि 1999 में जब मूकबधिरों का सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया में हुआ था तो उसमें देखा कि सामान्य बच्चों के साथ मूकबधिक बच्चे भी पढ़ते हैं। यह प्रयोग भारत में भी शुरू किया है।

सरकार की योजना है कि दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह ही शिक्षा प्राप्त करें। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एनजीओ के माध्यम से इन बच्चों के कौशल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। – दीपक सिंह, संभागायुक्त इंदौर

इंदौर के सरकारी स्कूलमें कितने मूक बधिर बच्चे

  • लिंबोंदीगारी में 1 से 8 वीं तक: 55 बच्चे
  • गांधीनगर में 9 से 12वीं तक : 30 बच्चे

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