इंदौरमध्य प्रदेश

Indore : भूमाफिया इंटरनेट फेसटाइम का करता था इस्तेमाल, फरारी के दौरान इंदौर में घूमते रहा, पुलिस को नहीं लगी भनक

इंदौर। शहर के बड़े भाई माफियाओं में से एक दीपक सिसोदिया उर्फ दीपक मद्दा व दीपक जैन जिसने इंदौर में अयोध्यापुरी पुष्प विहार कॉलोनी की जमीन में घोटाले कर इंदौर से फरार हो गया था। लगातार इंदौर पुलिस आरोपी दीपक की तलाश कर रही थी, जिसे बुधवार देर रात इंदौर पुलिस ने मथुरा से गिरफ्तार करना बताया।

दीपक जैन के खिलाफ कई मामले दर्ज

खजराना एसीपी जयंत राठौर ने बताया कि दीपक जैन पर पिछले वर्ष 8 दिसंबर को धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था। वहीं दीपक पर 9 अन्य मामले भी दर्ज है, जिसके बाद इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा रासुका की कार्रवाई कर दी गई थी। इसमें से 2 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत भी मिल गई और 2 मामले में जिला कोर्ट ने जमानत दे दी।

जबकि, 3 मामले में हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक गिरफ्तारी रोक दी। इसके बाद आरोपी द्वारा कूट रचना तरीके से अपर सचिव का फर्जी पत्र बनाया और दावा किया कि सभी मामलों में जमानत मिल गई। जिससे कि राजू का वारंट स्वत: ही समाप्त हो जाता है, लेकिन यह पत्र फर्जी तरीके से बनाया गया था। जिसकी पुलिस को सूचना मिली और पुलिस ने फिर से आरोप खिलाफ धरपकड़ शुरू की।

फरारी के दौरान धर्मशाला में रहता था आरोपी

आरोपी फरारी के दौरान चित्तौड़ की धर्मशाला में रहता था। इसके बाद वह दिल्ली और कई जगह घूमता रहा। फरारी के दौरान वह कई बार इंदौर भी आया और इंदौर के कई वकीलों से भी संपर्क में था। आरोपी दीपक मानना था कि मामला ठंडा होते ही वह भोपाल जाएगा और जमानत की जुगाड़ लगा लेगा, लेकिन क्राइम ब्रांच द्वारा लगातार दीपक की तलाश की जा रही थी जिसे गुरुवार सुबह इंदौर लेकर लाया गया और सीधे जेल भेज दिया गया।

दीपक का साला गुजरात से गिरफ्तार

दीपक ने अपने परिवार के कई लोगों को इस भूमाफिया गिरोह में शामिल कर लिया था। दीपक जैन ने अपने साले दीपक बोहरा को भी इस गिरोह में शामिल किया था। साल 2021 में गुजरात के एक जैन मंदिर से दीपक बोहरा को गिरफ्तार किया गया था।

फर्जी हस्ताक्षर कर पुलिस को किया गुमराह

भूमाफिया अभियान के तहत फरवरी 2021 में प्रशासन ने उस पर 6 प्रकरण दर्ज करवाए थे और फिर उसपर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाया गया था। ज्यादातर मामलों में उसने कोर्ट से जमानत और गिरफ्तारी पर स्टे ले रखा था। रासुका के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया है।

बता दें कि, खजराना थाने में गृह विभाग के एससीएस डॉ. राजेश राजौरा के फर्जी हस्ताक्षर से उसने एक पत्र सौंपा था। उसमें लिखा था कि रासुका निरस्त की जाती है। इंदौर पुलिस ने जब गृह विभाग से पत्र क्रमांक 3525/825/2022 की जानकारी मांगी तो पता चला कि ऐसा कोई पत्र जारी ही नहीं हुआ। इसके बाद इंदौर की खजराना पुलिस ने उस पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।

(इनपुट – हेमंत नागले)

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