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इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें हाल ही में हमास की कैद से रिहा हुए 12 बंधकों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार का खुलासा किया गया है। यह लोग अक्टूबर 2023 में शुरू हुए संघर्ष के दौरान अगवा किए गए थे और महीनों तक गाजा में कैद रहे। रिपोर्ट में बताया गया है कि नागरिकों को कैद करके इन्हें भूख, हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और चिकित्सकीय लापरवाही जैसी यातनाएं दी गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय की मेडिकल डिवीजन की प्रमुख डॉ. हागर मिजराही ने बताया कि बंधकों को जानबूझकर भूखा रखा गया। उन्हें दिन में केवल एक बेहद मामूली भोजन मिलता था, जिसमें अक्सर बासी पीटा ब्रेड या कीड़ों से भरा चावल शामिल होता था और पानी भी सीमित व गंदा होता था। कई बार पूरा दिन बिना भोजन के गुजरता था जिससे उनका वजन तेजी से घट गया और शरीर में गंभीर पोषण की कमी हो गई।
बंधकों को भूमिगत संकरे सुरंगों में रखा गया, जिनका आकार कभी-कभी सिर्फ दो वर्ग मीटर था। कई लोग भीड़भाड़ में रहते थे, जबकि कुछ को लंबे समय तक पूरी तरह अलग-थलग रखा गया। महिलाओं की व्यक्तिगत स्वच्छता की जरूरतों की पूरी तरह अनदेखी की गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि कई लोगों को लगातार पीटा गया, हथकड़ियों से कसकर बांधा गया, जिससे हाथ-पैर सुन्न हो गए। कुछ बंधकों ने अपने परिवार या दोस्तों की हत्या होते देखी, जिससे उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश की गई।
रिहा हुए कई लोग गोली और छर्रे के घाव के साथ लौटे, जिनका इलाज कैद के दौरान नहीं किया गया। उन्हें खुद ही घावों का उपचार करना पड़ा। संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी और त्वचा संबंधी समस्याओं का इलाज नहीं हुआ, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई। महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर चिंताएं जताई गई हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर बंधक पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं। उन्हें बुरे सपने, डर, चिंता और अपराधबोध सताता है। ये मानसिक लक्षण समय के साथ और बढ़ सकते हैं, इसलिए लंबे समय तक इलाज जरूरी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस से अपील की है कि वह गाजा में बचे बंधकों तक तुरंत भोजन, पानी और चिकित्सकीय सहायता पहुंचाए और उनकी जल्द रिहाई सुनिश्चित करे। 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमलों में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 252 लोगों को बंधक बना लिया गया था। अभी भी करीब 50 लोग कैद में हैं, जिनमें से लगभग 30 के मरने की आशंका है।
(इनपुट एएनआई)