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राजीव सोनी / भोपाल उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद प्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों पर तेजी से बढ़ रही पर्यटकों की संख्या से उत्साहित राज्य सरकार ने धार्मिक शहरों के कायाकल्प का रोड-मैप पर काम शुरू किया है। पर्यटन को बढ़ावा देने प्रदेश में धार्मिक के साथ वाइल्ड लाइफ, प्राकृतिक सौंदर्य, वास्तुकला, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों की नए सिरे से ब्रांडिंग पर जोर दिया जा रहा है। वनवास के दौरान भगवान राम मौजूदा मप्र के जिन स्थलों पर गए उन्हें भी राम वन गमन पथ के रूप में विकसित किया जा रहा है। धार्मिक शहरों को आपस में जोड़ने और एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने अगले महीने तक इन शहरों में छोटे विमानों की फेरियां बढ़ाई जाएंगी। पर्यटकों को ठहराने, परिवहन से लेकर अन्य सुविधाओं पर भी फोकस किया जा रहा है।
ओंकारेश्वर भी अब ज्योतिर्लिंग के साथ ही बन रहे एकात्म धाम-अद्वैत लोक के चलते धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर चमकने लगेगा। महेश्वर, सलकनपुर देवी लोक, छिंदवाड़ा में हनुमान लोक, वर्ल्ड हेरिटेज खजुराहो-सांची, मैहर, देवास, दतिया, नलखेड़ा, भोजपुर, अमरकंटक, चित्रकूट एवं पचमढ़ी में भी एयर कनेक्टिविटी और अन्य पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने का रोड-मैप बनाया है।
नगरीय विकास के साथ धार्मिक शहरों से जुड़े क्षेत्रों को री-डेवलपमेंट के साथ संरक्षित करेंगे। आजादी के बाद प्रदेश में पहली बार एक साल के दौरान 11 करोड़ 21 लाख देशी-विदेशी सैलानियों के आने से सरकार ने अब सिंहस्थ के पहले धार्मिक शहरों के कायाकल्प का प्रोजेक्ट हाथ में लिया है। इनके विकास की रूपरेखा अब धार्मिकता के आधार पर तैयार होगी। प्रारंभिक तौर पर 2 हजार करोड़ का बजट खर्च प्रस्तावित है।
देश के दिल के रूप में विख्यात मप्र को अब उत्तराखंड की तर्ज पर धार्मिकआ ध्यात्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। उज्जैन में हर 12 साल में होने वाले सिंहस्थ (कुंभ) मेला के कारण शहर का कायाकल्प हो जाता है। इसी तरह प्रदेश के दूसरे धार्मिक शहरों को सजानेसंवार ने पर फोकस किया जाएगा। अयोध्या की तर्ज पर मप्र में भी पर्यटन को उद्योग की तरह डेवलप किया जाएगा।
धर्मेंद्र लोधी, मंत्री पर्यटन,संस्कृति व धर्मस्व