भोपाल/छिंदवाड़ा – एवरेस्ट फतह करने वाली प्रदेश की पहली पर्वतारोही मेघा परमार अब पर्वतारोहण के साथ साथ सियासत की रपटीली राहों पर भी चलती हुई दिखाई देंगी। मेघा ने आज कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ के सामने छिंदवाड़ा में पार्टी की सदस्यता ली। जिले के परासिया में पार्टी द्वारा आज से शुरू की जा रही नारी सम्मान योजना के कार्यक्रम के दौरान मेघा ने कांग्रेस का दामन थामा। पार्टी ज्वाइन करने के बाद मेघा ने कहा कि अगर कमलनाथ नहीं होते तो वे कभी एवरेस्ट फतह नहीं कर पातीं।
25 लाख दिए थे कमलनाथ सरकार ने
मेघा ने कांग्रेस ज्वाइनिंग के बाद अपनी जीवन की कहानी भी सुनाते हुए कहा कि वे छोटे से गांव भोजनगर की निवासी हैं, जहां पहाड़ पर चढ़ना तो दूर पहाड़ पर चढ़ने की सोच तक लोगों के मानस में नहीं आती है। इस छोटे से गांव से निकलकर दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर एवरेस्ट पर पहुंचाने में कमलनाथ का सबसे अधिक योगदान है। मेघा ने कहा कि नाथ सरकार अगर 25 लाख की सहायता नहीं देती तो वे कभी एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने का सपना पूरा नहीं कर पातीं।
मेघा के सिर सजे हैं ये ताज
मेघा परमार केवल नेपाल की माउंट एवरेस्ट ही नहीं बल्कि दुनिया के चार महाद्वीपों में स्थित सबसे ऊंची चोटियों पर जीत हासिल करने वाली मध्य प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोही भी हैं। मेघा को कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान का ब्रांड एंबेस्डर भी बनाया था। उन्होने 2019 में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रेस पर तिरंगा लहराते हुए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया था।
किसान परिवार से रखती हैं नाता
मेघा मूल रूप से भोपाल से 50 किलो मीटर दूर सीहोर जिले के भोज नगर की मूल निवासी हैं। मेघा के पिता दामोदार परमार पेशे से किसान हैं और मां मंजू देवी घर का काम-काज संभालती हैं। मेघा ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अपने परिवार के बारे में मंच से कहा कि उनकी फैमिली टीनशेड से बने मकान में रहती थी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
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