Shivani Gupta
1 Dec 2025
Manisha Dhanwani
1 Dec 2025
Shivani Gupta
30 Nov 2025
Naresh Bhagoria
30 Nov 2025
नई दिल्ली। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर Election Commission ने एक शपथ पत्र दाखिल किया है। Supreme Court में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर लगाए जा रहे आरोप वास्तविकता से कहीं अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जा रहे हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थों के कारण इस प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रचारित कर रहे हैं।
यह मामला तृण मूल कांग्रेस (TMC) की सांसद डोला सेन की जनहित याचिका से जुड़ा है। याचिका में उन्होंने उन्होंने 24 जून और 27 अक्टूबर 2025 को जारी SIR आदेशों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इसके जवाब में आयोग ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह वैधानिक, नियमित और संविधान द्वारा संरक्षित है। आयोग ने कहा कि वोट लिस्ट की शुद्धता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए SIR जरूरी है। इस आवश्यकता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टी.एन. शेषन बनाम भारत सरकार (1995) मामले में भी स्वीकार किया गया था। आयोग के अनुसार, संविधान का अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 15, 21 और 23 आयोग को विशेष परिस्थितियों में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण करने की शक्ति देती हैं।
चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में बताया गया है कि 1950 के दशक से देश में समय-समय पर इसी तरह के व्यापक संशोधन होते रहे हैं। पिछले दो दशकों में तेज शहरीकरण और लोगों की बढ़ती गतिशीलता के कारण मतदाता सूचियों में लगातार नए नाम जुड़ते और हटते रहते हैं। इससे गलत या दोहराए गए नामों की संभावना बढ़ जाती है। राजनीतिक दलों की लगातार शिकायतों और इन चुनौतियों को देखते हुए आयोग ने अखिल भारतीय स्तर पर SIR चलाने का निर्णय लिया।