Aakash Waghmare
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Manisha Dhanwani
22 Nov 2025
Aakash Waghmare
22 Nov 2025
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 'और ज्यादा टैरिफ' लगाने की धमकी के बाद भारत सरकार ने पहली बार अमेरिका का नाम लेकर सार्वजनिक रूप से कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने न सिर्फ ट्रम्प के बयानों को अनुचित और तर्कहीन बताया, बल्कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के रूस से जारी व्यापारिक संबंधों के आंकड़े साझा कर सवाल भी उठाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत पर हमला बोलते हुए कहा कि भारत को रूस के हमले में मारे जा रहे लोगों की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता है और उसे मुनाफे के साथ वैश्विक बाजार में बेचता है। इसी आधार पर उन्होंने भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की और कहा कि इससे भारत को सबक मिलेगा।
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत अब ज्यादा दिन तक रूस से तेल नहीं खरीदेगा, हालांकि आंकड़े और स्थिति इससे बिल्कुल अलग कहानी बयां करते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रंप के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भारत को निशाना बनाना न सिर्फ अनुचित, बल्कि तर्कहीन है।" उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के रूस से जारी व्यापार के आंकड़ों को सार्वजनिक कर बताया कि इन देशों का व्यवहार दोहरे मापदंड का परिचायक है।
भारत ने स्पष्ट किया कि अमेरिका खुद रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम और रसायनों का आयात कर रहा है। 2024 में अमेरिका ने रूस से 3 अरब डॉलर का सामान आयात किया। 2025 के पहले पांच महीनों में यह आंकड़ा 2.09 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 24% अधिक है।
भारत ने कहा कि उसका रूस से कच्चा तेल आयात पूरी तरह से अपने उपभोक्ताओं को किफायती ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से है। यह निर्णय भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। भारत ने ट्रंप को याद दिलाया कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद खुद अमेरिका ने भारत से रूस से तेल आयात जारी रखने का समर्थन किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर बना रहे।
भारत ने ट्रंप की चीन पर चुप्पी को भी आड़े हाथों लिया। भारत ने बताया कि दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल क्रूड ऑयल का 47% चीन को निर्यात किया गया, जबकि भारत को केवल 38%। ट्रंप भारत पर तो आक्रामक हैं, लेकिन चीन का नाम लेने से बच रहे हैं।
भारत ने यूरोपीय यूनियन के रूस से व्यापार पर भी सवाल खड़े किए
इस पूरे प्रकरण पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अब एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का दौर खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा - दुनिया में अब किसी एक का दबदबा नहीं चलेगा। हमें अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी होगी।