Manisha Dhanwani
9 Dec 2025
इंदौर। दिल्ली में हुए बम धमाके की धार जब फरिदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी से होते हुए उसके चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी तक पहुँची, तो अचानक उसका महू कनेक्शन सारा खेल पलट गया। जांच टीम जैसे-जैसे आगे बढ़ी, सिद्दीकी परिवार का दबा हुआ अपराध पन्ना दर पन्ना खुलता गया। महू पुलिस ने भी मौके को हाथ से न जाने देते हुए वर्षों से फरार चल रहे उसके भाई हमूद सिद्दीकी को दबोचकर महू उपजेल में पटक दिया। पुलिस ने तो राहत की सांस ली, लेकिन जेल प्रशासन की धड़कनें अब तेज होने लगी हैं—क्योंकि हमूद के खिलाफ ठगे गए आर्मी कर्मियों का गुस्सा आग की तरह भड़क रहा है और जेल अधिकारियों को डर है कि कहीं यह आरोपी खुद जेल के भीतर किसी हमले का शिकार न बन जाए। इसी खतरे को देखते हुए महू उपजेल प्रशासन ने उसे तुरंत सुरक्षित जेल में भेजने की सिफारिश जेल मुख्यालय को भेज दी है।
जेल का माहौल 'अत्यधिक संवेदनशील', हमले की आशंका—
हमूद की गिरफ्तारी ने महू जेल की हवा को बेचैन कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार पुराने घोटालों में लुटे गए निवेशक और सेना से रिटायर्ड अधिकारी भारी आक्रोश में हैं। कई लोग जेल के बाहर विरोध प्रदर्शन की धमकी दे चुके हैं। जेल प्रशासन आशंकित है कि आरोपी पर हमला करने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि कई पीड़ितों की जिंदगी उसकी ठगी से बर्बाद हुई है। इसलिए जेल अधीक्षक ने उच्च मुख्यालय को पत्र लिखकर हमूद को इंदौर सेंट्रल जेल या किसी अन्य उच्च सुरक्षा सुविधा में तुरंत ट्रांसफर करने की सिफारिश की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा, “महू छोटा कस्बा है, माहौल भड़क सकता है। सुरक्षा इंतजाम हम कर रहे हैं, पर स्थानांतरण बेहद जरूरी हो गया है।”
महू उपजेल की पुरानी दास्तान—गैंगस्टर की हत्या, भ्रष्टाचार और लगातार विवाद
महू उपजेल विवादों और हिंसा का नया अड्डा नहीं है—यह इतिहास पहले से काला है। इंदौर के गैंगस्टर जीतू ठाकुर की हत्या जेल के अंदर घुसकर कर दी गई थी। जेल में लोकायुक्त का छापा पड़ चुका है, और हाल ही में एक सिपाही का 10 लाख रुपए के लेन-देन का वीडियो भी वायरल हुआ था। महू के निवेशक आज भी अपने बर्बाद भविष्य की भरपाई के इंतजार में हैं। एक रिटायर्ड कर्नल ने दुख जताते हुए कहा, “हमारी जिंदगी तबाह हो गई। लेकिन हमूद की गिरफ्तारी से इंसाफ की थोड़ी उम्मीद जगी है।” दिल्ली धमाके की जांच ने न सिर्फ आतंक का नया चेहरा उजागर किया, बल्कि एक पूरे परिवार के गहरे अपराधी इतिहास को भी जगजाहिर कर दिया। अब प्रशासन पर जिम्मेदारी है कि वह इस मामले में कठोर कदम उठाए, ताकि न्याय और सुरक्षा दोनों की गारंटी मिल सके।
जेल प्रशासन का पुष्टि वाला बयान
“हाँ, मैंने पिछले हफ्ते ही जेल मुख्यालय को पत्र भेजा है। हमूद सिद्दीकी को केंद्रीय इकाई में स्थानांतरण की मांग सुरक्षा कारणों से की गई है।”
— मीत सानेकर, जेलर, महू उपजेल
लाल किले के पास कार में धमाके -
10 नवंबर 2025 को लाल किले के पास कार में हुए धमाके में 13 लोगों की मौत के बाद केंद्र की जांच एजेंसियाँ सक्रिय हुईं, और तीन डॉक्टर अलफलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार किए गए। बवाल बढ़ते ही चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी भूमिगत हो गया था, लेकिन 18 नवंबर को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में उसे दबोच लिया। 1 दिसंबर को उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद उसके महू मूल की जानकारी बाहर आई। इस कनेक्शन ने महू पुलिस को भी सक्रिय कर दिया। और जब जांच आगे बढ़ी तो जवाद के परिवार के पुराने अपराधों की परतें खुलकर सामने आ गईं।
हमूद पिछले 25 साल से फरार -
जवाद का छोटा भाई हमूद पिछले 25 साल से फरार मिलता आया। 1988 और 1989 में महू दंगों में उसकी सक्रिय भूमिका और हत्या की कोशिश के दो मुकदमे उसके सिर पर हैं। इसके अलावा साल 2000 में तीन मामलों में करीब 40 लाख की धोखाधड़ी के घोटालों का बोझ भी उसी पर है। हमूद ने 90 के दशक में जवाद के साथ मिलकर महू में अल फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी चलाई, जिसमें स्थानीय गरीबों, रिटायर्ड फौजी कर्मचारियों और MES कर्मियों को 30–35% वार्षिक मुनाफे का झांसा देकर लूटा गया। जब घोटाले फैलने लगे तो पूरा परिवार रातों-रात गायब हो गया। 2019 में उसकी गिरफ्तारी पर 10,000 रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया था। इसके अलावा इंदौर और भोपाल में भी ठगी और फ्रॉड के मामलों में उसका नाम बार-बार सामने आता रहा। अंततः महू पुलिस ने उसे हैदराबाद से खींचकर गिरफ्तार किया, जहाँ वह ‘रिचवेल फिन कॉर्प’ नाम से एक और संदिग्ध फर्म चला रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसे तुरंत महू उपजेल में बंद कर दिया गया।