Naresh Bhagoria
22 Nov 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने अनवर ढेबर की गिरफ्तारी और FIR को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका में ढेबर ने ACB और EOW द्वारा की गई कार्रवाई को अवैधानिक बताते हुए एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी।
अनवर ढेबर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसे 4 अप्रैल को बिना किसी पूर्व सूचना के हिरासत में लिया गया और 5 अप्रैल को उसे अवैध रूप से रिमांड पर भेजा गया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का हवाला देते हुए कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ रही, ना तो गिरफ्तारी के कारण बताए गए, ना ही केस डायरी या पंचनामा की कॉपी दी गई। याचिका में 5 और 8 अप्रैल को विशेष न्यायालय (पीसी एक्ट) द्वारा दिए गए रिमांड आदेशों को रद्द करने की भी मांग की गई थी।
राज्य शासन की ओर से सुनवाई में बताया गया कि सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची जा रही थी, जिससे शासन को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। इसमें अनवर ढेबर की अहम भूमिका सामने आई है। सरकार ने यह भी बताया कि अनवर की पहले दो जमानत याचिकाएं भी अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी हैं। सभी तर्कों और दस्तावेजों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। ED की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के दौरान यह घोटाला एक सिंडिकेट के ज़रिए अंजाम दिया गया। इस सिंडिकेट में शामिल थे...
जांच रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी शराब दुकानों पर नकली होलोग्राम लगाकर घटिया या अवैध शराब बेची जाती थी। इससे न केवल शासन को राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया गया। इस पूरे नेटवर्क को राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था, जिसकी वजह से यह इतने बड़े स्तर पर संचालित हो सका।