Naresh Bhagoria
7 Nov 2025
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7 Nov 2025
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6 Nov 2025
भोपाल। सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्मला सप्रे की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा मप्र हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर अब विधायक सप्रे को नोटिस जारी किया गया है। उक्त याचिका की सुनवाई में शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सभापति मध्यप्रदेश विधानसभा तथा विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी किया है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में राज्य की ओर से पैरवी महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने की। याचिका की अगली सुनवाई 18 नवंबर 2025 को होगी।
उक्त याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य जस्टिस संजीव सचदेवा ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह से यह प्रश्न किया कि आखिर सभापति ने 16 महीने बीत जाने के पश्चात भी नेता प्रतिपक्ष द्वारा निर्मला सप्रे की विधायकी समाप्त किए जाने वाली याचिका पर निर्णय क्यों नहीं लिया है? जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 'पाडी कौशिक रेड्डी बनाम तेलंगाना राज्य' एवं 'केशम बनाम मणिपुर राज्य' के न्याय दृष्टांत में यह निश्चित कर दिया है कि दल-बदल याचिका का निराकरण 3 माह के भीतर सभापति द्वारा किया जाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल एवं जयेश गुरनानी द्वारा यह तर्क रखा गया कि सभापति उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित किए गए विधि के सिद्धांतों के विपरीत कार्य कर रहे हैं एवं निर्मला सप्रे के विरुद्ध प्रस्तुत की गई दल-बदल याचिका का निराकरण नहीं कर रहे हैं तथा भारतीय संविधान की अनुसूची 10 के पैरा 2(1)(क) व अनुच्छेद 191 (2) के अनुसार यदि कोई विधायक दल बदल करता है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता निरस्त की जानी चाहिए। यदि दल-बदल के बाद ऐसे व्यक्ति को विधायक रहना हो तो उसे फिर से चुनाव लड़ना पड़ता है। इसके बाद बेंच ने नोटिस जारी कर सभापति व निर्मला सप्रे से जवाब तलब किया है।
दरअसल, बीना से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बनने वालीं निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के पहले 5 मई 2019 को भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया। इस बीच वे भाजपा के कार्यक्रमों में शामिल होती रही हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पहले विधानसभा अध्यक्ष को इस बारे में शिकायत की थी। कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। निर्मला सप्रे पर कुछ माह पहले बजरंग दल के एक पूर्व पदाधिकारी ने अभद्रता से बात करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी।