Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
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22 Nov 2025
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उज्जैन। 18 अगस्त को भगवान महाकाल की भव्य और दिव्य राजसी (शाही) सवारी उज्जैन की पवित्र गलियों से निकलेगी। देशभर से लाखों श्रद्धालुओं के इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने की संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए महाकालेश्वर मंदिर पुजारी समिति ने पालकी और भगवान के विग्रह की विशेष सुरक्षा की मांग की है।
महाकाल मंदिर के पुजारी और पुजारी समिति के महामंत्री महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि सवारी के दौरान बाबा महाकाल की पालकी की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाएं। उन्होंने यह मांग भी की कि मंदिर समिति के सुरक्षा अधिकारी पालकी के साथ अनिवार्य रूप से मौजूद रहें।
पुजारी महेश शर्मा के अनुसार, भगवान महाकाल की सवारी विजयादशमी के दिन और अन्य अवसरों पर फ्रीगंज की ओर जाती है, जहां भक्तों की अत्यधिक भीड़ होती है। सवारी के दौरान कई श्रद्धालु भगवान की पालकी के करीब पहुंचने की कोशिश करते हैं। वे बाबा को माला पहनाने, चरण वंदन करने या छूने की कोशिश करते हैं। इससे न केवल भगवान की गरिमा को ठेस पहुंचती है, बल्कि सुरक्षा में भी बड़ी बाधा उत्पन्न होती है।
कई बार इस अफरा-तफरी में पुजारी, कहार (पालकी उठाने वाले) और सुरक्षा कर्मियों को शारीरिक चोटें भी आई हैं। महेश पुजारी ने कहा कि भगवान महाकाल के कपड़े और यहां तक कि पगड़ी भी खींचे जाने का खतरा बना रहता है। यह दृश्य अशोभनीय और भावनाओं को आहत करने वाला होता है।
मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बाबा महाकाल की पालकी जब मंदिर से बाहर निकलती है और जब तक पुनः मंदिर में प्रवेश नहीं कर जाती, तब तक उसकी पूरी सुरक्षा जिम्मेदारी मंदिर प्रबंध समिति की होती है। ऐसे में सवारी मार्ग पर बैरिकेडिंग कर एक सुरक्षा कॉरिडोर तैयार करना अत्यंत आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, यह भी सुझाव दिया गया है कि मंदिर समिति के अनुभवी सुरक्षा अधिकारियों की ड्यूटी विशेष रूप से पालकी के साथ लगाई जाए और उन्हें यह दायित्व सौंपा जाए कि वे पूरी सवारी के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करें और कोई भी अप्रिय घटना न हो।
महाकालेश्वर मंदिर पुजारी समिति ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे धर्म और परंपरा की गरिमा को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से ऐसे प्रशासनिक निर्देश जारी करें, जिनसे बाबा महाकाल की सवारी के दौरान अनुशासन, सुरक्षा और भक्ति का संतुलन बना रहे। इससे न केवल भगवान के विग्रह की रक्षा होगी, बल्कि श्रद्धालुओं को भी सुरक्षित दर्शन का अवसर मिलेगा।
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