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Ladakh Earthquake : लद्दाख के लेह में आया भूकंप, रिक्टर स्केल पर इतनी रही तीव्रता, घरों से बाहर निकले लोग

नई दिल्ली। म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप के बाद लोगों में दहशत का माहौल है। इस बीच भारत में भी भूकंप की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। लद्दाख के लेह में मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.2 मापी गई है।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक शाम 5.38 बजे लेह-लद्दाख में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। वहीं भूकंप के कंपन की वजह से लोग घबराकर अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल गए। फिलहाल कहीं से किसी तरह के जान माल के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आ रही है।

सोमवार को अरुणाचल प्रदेश में भूकंप

बता दें कि इससे पहले सोमवार को अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.5 आंकी गई थी। हालांकि, इस भूकंप से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन म्यांमार में भूकंप से आई तबाही के बाद पूरी दुनिया में लोगों के अंदर भूकंप को लेकर डर भरा हुआ है। भूकंप का केंद्र अरुणाचल प्रदेश की शी योमी में धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे था।

क्या होता है रिक्टर स्केल?

भूकंप की तीव्रता नापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। रिक्टर स्केल मूल रूप से भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी खोज अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्सा रिक्टेर और बेनो गुटरबर्ग ने 1935 में की थी। उनका सोचना था कि, भूकंप की तीव्रता को एक संख्या में व्यक्त किया जाना चाहिए ताकि इसकी तुलना अन्य भूकंपों से की जा सके।

आखिर क्यों आते हैं भूकंप ?

भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।

कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है

• 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
• वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
• 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
• 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
• 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
• 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
• 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में पाइप फट जाती है।
• 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
• 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।

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