Aniruddh Singh
15 Sep 2025
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Mithilesh Yadav
14 Sep 2025
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शिवपुरी। जिले की नरवर तहसील के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया है। बौद्ध धर्म अपनाने वालों ने उनके साथ छुआछूत करने का आरोप लगाया है। वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं। ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है।
गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था, जो पूरे गांव से लिया और खाया भी।
नरवर के ग्राम बहगवां में गांव के लोगों ने मिलकर भागवत कथा की थी। गांव में 25 साल बाद सभी के सहयोग से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा दिया था, परंतु भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 परिवारों (लगभग 125-150 लोग) ने अचानक बौद्ध धर्म स्वीकार कर हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ले ली। भीम आर्मी के प्रदेश कार्य समिति सदस्य महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए। जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तलखराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम कराया जाए। इसके बाद गांव वालों ने कह दिया कि अगर आपको जूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ, नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ।
सरपंच का कहना है कि गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवाया है। हमारे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं। अन्य समाज के लोगों ने भी झूठी पत्तल उठाईं। गजेंद्र के अनुसार जाटव समाज द्वारा चंदा वापस लेने के कारण गांव वालों ने उसकी पूर्ति की।
गांव में धार्मिक कार्यक्रम था। उसमें अलग-अलग कार्य बांटे गए थे। सभी ने अपना-अपना कार्य किया। यह किसी समाज विशेष या व्याक्ति का कार्यक्रम नहीं था। फिर भी वास्तवकिता क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा। -अजय शर्मा, एसडीएम, करैरा