Hemant Nagle
2 Dec 2025
इंदौर। पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी की तथाकथित हाईटेक कार्यप्रणाली एक बार फिर बुरी तरह नंगी पड़ गई। कंपनी खुद को आधुनिक सेवाओं का झंडाबरदार बताती रहती है, लेकिन असलियत यह है कि इसकी डिजिटल जिम्मेदारी महज़ कागज़ी दावे बनकर रह गई है। रविवार को कंपनी का उर्जस एप अचानक ठप हो गया, जिससे सैकड़ों उपभोक्ता बिजली बिल जमा ही नहीं कर पाए। घरों में बिजली कटने और पेनल्टी लगने का डर लोगों को पूरे दिन सताता रहा,गलती कंपनी की, लेकिन मार जनता पर।
उपभोक्ताओं का आरोप है कि कंपनी के अफसर सिर्फ बैठकों और प्रेसनोट में अपनी पीठ थपथपाने में माहिर हैं, जबकि असली कामकाज खस्ताहाल है। उर्जस एप को लेकर दावा तो यह था कि ऑनलाइन बिलिंग आसान हो जाएगी, लेकिन परेशानी बढ़ती ही जा रही है। रविवार को एप ठप होने के बाद लोग लगातार शिकायत करते रहे, पर छुट्टी के कारण किसी अधिकारी ने फोन उठाना तक उचित नहीं समझा। डिजिटल इंडिया का सपना बिजली कंपनी के सर्वर के साथ ही क्रैश हो गया।
कंपनी का बहाना वही पुराना—“सर्वर डाउन था।” सवाल यह है कि छह लाख से ज्यादा शहरी उपभोक्ता जब इसी एप पर निर्भर हैं, तो फिर ऐसी तकनीकी चूकें बार-बार क्यों होती हैं? और यदि कंपनी इतनी हाईटेक है, तो सर्वर का बैकअप सिस्टम कहाँ गायब हो जाता है?
उपभोक्ता बता रहे हैं कि बिल जमा करना ही नहीं, शिकायत दर्ज कराना, लोड बढ़ाना और अन्य कार्यों की ऑनलाइन सुविधा भी सिर्फ दिखावटी है। एप पर रिक्वेस्ट डालने के बाद भी जोनल ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार फाइलें जोन तक पहुँचने में ही दिन लग जाते हैं। कंपनी डिजिटल सेवाओं का ढिंढोरा पीटती है, पर जमीनी हकीकत यह है कि पूरा सिस्टम अफसरों की लापरवाही और तकनीकी अव्यवस्था के बोझ तले कराह रहा है।
बिजली कंपनी ने घर-घर बिल भेजने की व्यवस्था बंद कर दी है, लेकिन एप पर भरोसा करना अब जोखिम भरा सौदा बन गया है—क्योंकि जैसे ही आखिरी तारीख आती है, कंपनी खुद ही बिजली काट देती है। उपभोक्ताओं का साफ कहना है—हाईटेक का दावा छोड़ें, पहले व्यवस्था ठीक करें, वरना जनता की जेब और भरोसा दोनों जलते रहेंगे।